Bewafa Shayari

घर से तो निकले थे हम ख़ुशी की ही तलाश में, किस्मत ने ताउम्र का हमैं मुसाफिर बना दिया......!!!

तु हजार बार भी रूठे तो मना लुगाँ तुझे, मगर देख, मुहब्बत में शामिल कोई दुसरा न हो......!!!

जिस्म का दिल से अगर वास्ता नहीं होता, क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता........!!!

तेरी यादों की कोई सरहद होती तो अच्छा था खबर तो रहती….सफर तय कितना करना है......!!!

मै झुकता हूँ हमेशा आँसमा बन के, जानता हूँ कि ज़मीन को उठने की आदत नही…!!!

थक सा गया हूँ, खुद को सही साबित करते करते, खुदा गलत हो सकता है, मगर मेरी मुहब्बत नहीं……!!!

कितने मसरूफ़ हैं हम जिंदगी की कशमकश में, इबादत भी जल्दी में करते हैं फिर से गुनाह करने के लिए…...!!!

टुकड़े पड़े थे राह में किसी हसीना की तस्वीर के, लगता है कोई दीवाना आज समझदार हो गया है…....!!!

हमें तो प्यार के दो लफ्ज ही नसीब नहीं, और बदनाम ऐसे जैसे इश्क के बादशाह थे हम......!!!

मुस्कराते रहो तो दुनिया आप के कदमों मे होगी, वरना आसुओ को तो आखे भी जगह नही देती........!!!

मुझे नींद की इजाज़त भी उसकी यादों से लेनी पड़ती है, जो खुद तो सो जाता है, मुझे करवटों में छोड़ कर......!!!

जिंदगी आ बैठ, ज़रा बात तो सुन, मुहब्बत कर बैठा हूँ, कोई मशवरा तो दे.......!!!

आराम से कट रही थी तो अच्छी थी, जिंदगी तू कहाँ इन आँखों की, बातों में आ गयी.....!!!

मुझे दुआएं दिल से मिली हैं, कभी खरीदने को जेब में हाथ नहीं डाला…...!!!

कोशिश बहुत की, राज़-ए-मुहब्बत बयाँ न हो, मुमकिन कहाँ था, आग लगे और धुआँ न हो..........!!!