तुम जिन्दगी में आ तो गये हो मगर ख्याल रखना, हम ‘जान’ दे देते हैं मगर ‘जाने’ नहीं देते ..
जिन्दगी में एक शत्रू होना बेहद जरूरी होता है । क्योंकि इन्सान बिना शत्रू के कभी कामयाब नहीं हो सकता।
बहती हवाओं से आवाज आएगी हर धड़कन से फरियाद आएगी.. भर देंगे आपके दिल में प्यार इतना की सांस भी लेंगे तो सिर्फ मेरी याद आएगी!!
ना दिन का पता ना रात का, एक जवाब दे रब मेरी बात का, कितने दिन बीत गए उससे बिछड़े हुए, ये बता दे कौन सा दिन रखा है हमारी मुलाकात का?
कितने दूर चले जाते हैं वो लोग, जिन्हें हम जिंदगी समझकर कभी खोना नहीं चाहते....
दोस्त अपनी दोस्ती का क्या खिताब दे, करते हैं इतना प्यार कि क्या हिसाब दे.. अगर आप से भी अच्छा फूल होता तो ला देते, लेकिन जो खुद ही गुलदस्ता हो उसे क्या गुलाब दे!!
टूट गया दिल पर अरमां वही है, दूर रहता हूं फिर भी प्यार वही है.. जानता हूं कि मिल नहीं पाऊंगा, फिर भी इन आंखों में प्यार वही है!!
नजर चाहती है दीदार करना, दिल चाहता है प्यार करना... क्या बताएं इस दिल का आलम, नसीब में लिखा है इंतजार करना!!
If you hate us So who will show your respect If you forget your guru then who will perform miracles. You attack us again and again, if we want to erase your existence at once from the world, but we leave you thinking every time that if you kill everyone, then who will perform your last rites.
तुम अगर हमसे नफरत करोगे । तो तुम्हारा आदर सत्कार कौन करेगा। अगर तुम अपने गुरु को भूल गए तो चमत्कार कौन करेगा। तुम बार-बार हम पर वार करते हो हम चाहें तो एक बार में तुम्हारा बजूद मिटा दें दुनिया से मगर हम छोड़ देते है तुम्हे हर बार यह सोचकर कि अगर तुम सबको मार देंगे तो तुम्हारा अन्तिम संस्कार कौन करेगा। जय हिन्द जय महाकाल
वो ख़्वाब ही क्या जिसे पूरा ना कर सके…. वो मंजिल ही क्या जिसे हासिल ना करे सके वो बेगुनाही ही क्या जिसे साबित ना करे सके और वो मोहब्बत ही क्या जिसके काबिल ना बन सके
नजरे जो झुखाओगे तो दीदार कैसे होगा निगाहें जो छुपाओगे तो इकरार कैसे होगा प्यार में तो होती हैं आँखों से बातें… आँखे जो चुराओगे तो प्यार कैसे होगा
बड़ी बेशर्म हो गयी है दिल की हसरतें, मैं लाख समझाऊँ पर तुझे ही चाहती है !!
नफरतें लाख मिलीं पर मोहब्बत न मिली, ज़िन्दगी बीत गयी मगर राहत न मिली, तेरी महफ़िल में हर एक को हँसता देखा, एक मैं था जिसे हँसने की इजाज़त न मिली।
जब” से “वो” हमें “जगा” गए “हम” “उम्र” भर “सो” न सके, “जाने” क्या “कशिश” थी उनमे, “किसी” और को “हम” “अपना” “बना” न सके…!!
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