Sad Shayari

बस एक बेबाक हुनर कर गया हूँ मैं सबके दिल से अब उतर गया हूं मैं मुस्कराएं किस वजह को कोष के सुन रहा तेरे घर गया हूँ मैं बोलू क्या,मैं मर भी नही पाता जीते-जी जबसे मर गया हूँ मैं लोग मलते हैं हाँथ अपनी की कैसे जिंदा हूं पर मर गया हूँ मैं ।

Click here to login if already registered or fill all details to post your comment on the Shayari.

First Name*
Last Name*
Email Id*
mobile number*