Posted On: 13-08-2019

Desh Bhakti

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Desh Bhakti

मातृभूमि तेरे चरणों में

अपना शीश झुकाऊं

सुन पुकार हंस बलबेदी पर

अपने प्राण चढ़ाऊँ

जीवन का उद्देश्य तुम्हारा कण कण हरा बनाना

तन मन धन कर अर्पित, तेरा अनुपान रूप सजाना

कर परास्त तेरे रिपुओं को

निज कर्तव्य निभाऊं |

करू श्रेष्ठ संपन्न विश्व में

तुम्हे महान बनाऊं ||



ओ! भारत के वीर सिपाही

कभी ना तुम घबराना

पर्वत नदिया और समंदर

पार सभी कर जाना

जब दुश्मन आता सीमा पर

उसको मार भगाते

फिर न लौटकर वापस आये

ऐसा सबक सिखाते

नहीं किसी से डरना सीखा,

ऐसे तुम मतवाले

गर्व करे तुम पर भारत माँ

भारत के रखवाले ||


अपने प्राणों से बढ़कर है प्यारा हमें तिरंगा

इसकी लहर लहर पावन है जैसी पावन गंगा|

तीन रंग की छाया में है

भारत देश के जागे

इसको उठता देख

फिरंगी गोरे दुश्मन भागे

इसकी शान में सब कुछ खोकर

इसका मान बढ़ाएं

जब भी समय पुकारे ह

तीन रंग से बना तिरंगा, लहर लहर लहराता है

नई शक्ति भरता तन मन में, नई चेतना लाता है

केसरिया रंग इसका हमको, बलिदानों की याद दिलाता|

मध्य भाग का धवल श्वेत रंग

विश्व शांति का पाठ पढ़ाता

हरा रंग विश्वास वीरता का संदेश सुनाता है

नई शक्ति भरता तन मन में, नई चेतना लाता है ||


तुमको अपनी मां प्यारी है,

मां को भी तुम प्यारे हो|

उसके दिल के टुकड़े हो तुम,

सूरज चांद सितारे हो|

पर मां से भी बढ़कर है जो,

मातृभूमि है वह प्यारी|

उन दोनों का कर्ज चुकाने,

की तुम पर जिम्मेदारी|

तुम्हें बड़ा करने में दोनों,

की ही बड़ी भूमिका है,

दूजा हक़ तुम पर माँ का,

पर पहला मातृभूमि का है ||