Posted On: 27-07-2019

प्रेम स्वरूप

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रुह का मालिक

ऐ मालिक तू  गर एक है तो तेरी नजाकत को मैं परखना चाहता हूँ। तू समंदर है तो तेरे दरिया मे, मैं उतरना चाहता हूँ। मैं कर नही सकता पार भवसागर के दुख से स्वयं को। तू रोशनी दे सच की ताकि मैं सुधार सकूँ नयन को।