Posted On: 13-08-2019

शिक्षाप्रद

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शिक्षाप्रद

बहुत जरूरी होती शिक्षा,

सारे अवगुण धोती शिक्षा |

चाहे जितना पढ़ ले हम पर,

कभी न पूरी होती शिक्षा |

शिक्षा पाकर ही बनते है,

नेता, अफसर, शिक्षक |

वैज्ञानिक, मंत्री, व्यापारी,

और साधारण रक्षक |

कर्तव्यों का बोध कराती,

अधिकारों का ज्ञान |

शिक्षा से ही मिल सकता है,

सर्वोपरि सम्मान |

बुद्धिहीन को बुद्धि देती,

अज्ञानी को ज्ञान |

शिक्षा से ही बन सकता है,

भारत देश महान ||

डॉ० परशुराम शुक्ल

  



प्यारे बच्चो पढ़ो पढ़ो कुछ,

जीवन में तुम गढो गढो कुछ |

समय नहीं फिर मिल पायेगा |

जीवन असफल हो जायेगा |

सीखो तुम कुछ करना श्रम,

जो भी करलो समझो कम |

पूरा जग हो तुमसे नीचा,

ऐसा कार्य करो तुम ऊँचा |

पढ़ लिख कर बनो विद्वान् |

दूर दूर तक होवे सम्मान |

ऐसी पूँजी है यह शिक्षा,

कभी मांगनी पड़े न भिक्षा |

बढ़ जाता है इससे ज्ञान,

नत मस्तक होता अज्ञान |

दूर करो मन का अँधियारा,

फिर लाओ जग में उजियारा ||

मुख़्तार अहमद अं

विद्या का मंदिर विद्यालय,

विद्या का धन देता है |

विद्या देकर बच्चो के यह,

अवगुण सब हर लेता है |

अच्छी अच्छी शिक्षाओ से,

ज्ञान विवेक बढ़ाता है|

 इसी ज्ञान के बल पर बच्चा,

 आगे बढ़ता जाता है