फूल और पौधे भी करते हैं बातें

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full or paudhe bhi krte hai baate

क्या तुम्हें पता है कि हम इनसानों की तरह ही पेड़-पौधे भी आपस में बातें करते हैं! वो हमारी बात समझ सकते हैं। पेड़-पौधों को म्यूजिक सुनना भी पसंद है। वैज्ञानिक शोध में भी यह बात सामने आई है कि पेड़, फूलों के माध्यम से बातचीत करते हैं। पेड़ों के कम्युनिकेशन से जुड़ी कुछ मजेदार बातें बता रही हैं रिया शर्मा

मने भारत के महान वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस का नाम सुना है न। उन्होंने ही सबसे पहले यह बात बताई थी कि पौधे यानी प्लांट भी संवेदनशील होते हैं और जब कोई उन्हें प्यार करता है, तो वे महसूस करते हैं। उन्हें भी अच्छा संगीत प्रभावित करता है। और पता है? पौधे न सिर्फ किसी चीज को महसूस करते हैं, बल्कि अपनी बात कहते हैं। लेकिन बोल कर नहीं, कुछ दूसरे तरीकों से। वे हमारी तरह ही एक्टिव रहते हैं। वे खतरे को भांप कर अपनी रक्षा के उपाय भी करते हैं। अपने साथी पौधों को इसकी सूचना भी देते हैं। ये कोई कल्पना भर नहीं है, बल्कि इसे लेकर कई रिसर्च हुए हैं और उनसे ये बातें पता चली हैं। आज हम तुम्हें पौधों के बारे में कुछ ऐसी ही दिलचस्प बातें बता रहे हैं।

अपनी रक्षा के लिए आवाज लगाते हैं पौधे

फूल-पौधे कई बार अपनी सुगंध के जरिये अपनी रक्षा के लिए मदद मांगते हैं। जब कोई कीट पत्तियों, डालियों, फूलों को खा रहा होता है, तो अपनी महक के जरिये पौधे अपने मददगार इन्सेक्ट को आकर्षित करते हैं। ये इन्सेक्ट महक से आकर्षित होकर पौधे के पास आते हैं और उसे नुकसान पहुंचाने वाले कीटों (पेस्ट्स) को खा जाते हैं। 

जैसे कि तंबाकू का पौधा अपने सलाइवा की मदद से हॉर्नवर्म के कैटरपिलर को पहचान लेता है और फिर एक केमिकल सिग्नल छोड़ता है, जो कैटरपिलर के दुश्मन को आकर्षित करता है। फिर कुछ ही घंटों में कैटरपिलर का दुश्मन इन्सेक्ट यानी कीट पौधे के पास आ जाता है और उसे कैटरपिलर से छुटकारा दिला देता है।

खतरे को देख अपनी सुरक्षा बढ़ा देते हैं पौधे

पता है, पौधे अपने आसपास के पौधों के केमिकल सिग्नल्स को समझ सकते हैं और कई बार दूसरे पौधों पर कोई खतरा मंडराता है, तब उस सिग्नल को देख अपनी सुरक्षा को बढ़ा देते हैं, क्योंकि उन्हें पता चल जाता है कि कोई भूखा इन्सेक्ट आसपास ही है। 
करीब पांच-छह साल पहले 48 स्टडी का विश्लेषण किया गया था, जिनमें यह बात पता चली कि पौधे अपनी सुरक्षा बढ़ा देते हैं, जब उनके आसपास के पौधों को नुकसान पहुंचता है। जैसे कि जब सेजब्रश को हॉर्नवर्म नुकसान पहुंचाता है, तो वह अपनी सुरक्षा में ट्रिप्सीन प्रोटीनेज इन्हिबिटर्स (टीपीआईज) प्रोटीन रिलीज करता है। टीपीआईज इन्सेक्ट को प्रोटीन डाइजेस्ट करने से रोक देते हैं और इन्सेक्ट की ग्रोथ को भी रोक देते हैं। जब आसपास के पौधे, यहां तक कि दूसरी प्रजाति के पौधे, सेजब्रश के नुकसान को भांप लेते हैं तो अपनी सुरक्षा की तैयारी कर लेते हैं। 

एक-दूसरे से मुकाबला करते हैं पौधे

तुम्हें पता है! पौधे सूरज की रोशनी, अपनी पोजीशन के लिए आसपास के पौधों के साथ धक्कामुक्की भी करते हैं। यह बात अलग है कि ऐसा वे अपने तरीके से करते हैं। एक झगड़ालू प्लांट है नैपवीड। नैपवीड की जड़ें एक खास किस्म का केमिकल रिलीज करती हैं, जो उसे मिट्टी से पोषक तत्व प्राप्त करने में मदद करता है। साथ ही वो केमिकल नैपवीड के आसपास की देसी घास को भी खत्म कर देता है। इस तरह नैपवीड अपने आसपास की जगह हथिया लेता है। है न यह स्वार्थी और बदमाश पौधा! लेकिन कुछ प्लांट स्मार्ट भी होते हैं और इस केमिकल के खिलाफ सुरक्षा कवच बना लेते हैं। ल्यूपिन की जड़ें ऑक्जेलिक एसिड निकालती हैं, जो नैपवीड द्वारा रिलीज किए जाने वाले नुकसानदायक केमिकल के खिलाफ एक बैरिकेड बना देती है। यहां तक कि ल्यूपिन आसपास के पौधों की भी नैपवीड जैसे आक्रामक पौधों से रक्षा करता है।

अपने सहोदर (सिबलिंग) को पहचानते हैं पौधे

जब किसी पौधे के पास दूसरा कोई पौधा या पौधे उग रहे होते हैं, तो वह उसे महसूस कर सकता है। जानवरों की तरह उनमें भी अपने सहोदर को पहचानने और मदद करने की प्रवृत्ति होती है। वे सूरज की रोशनी और दूसरी चीजों को हासिल करने में एक-दूसरे की मदद करते हैं और जब कोई दूसरा पौधा उनके ऊपर छाने लगता है, तो वे भी और बढ़ने लगते हैं। 

एक पौधा है ‘सी रॉकेट’। उसके साथ एक प्रयोग किया गया। जब उसे एक गमले में अपने ‘सिबलिंग’ के साथ उगाया गया, तो उसकी जड़ें कम फैलीं। जब उसे ‘अपरिचित पौधों’ के साथ दूसरे गमले में उगाया गया, तो उसने अपनी जड़ें ज्यादा फैला लीं, ताकि वह मिट्टी से अपने लिए पोषक तत्व ज्यादा ले सके, सूरज की रोशनी ज्यादा ले सके। यानी जब पौधे अपने सिबलिंग के साथ उगते हैं, तो एक-दूसरे की जरूरतों का ज्यादा ध्यान रखते हैं। एक और एक्सपेरिमेंट से यह पता चला कि पौधे अपने सिबलिंग को केमिकल सिगनल के जरिये पहचानते हैं।

मैमल्स के साथ भी संपर्क करते हैं पौधे 

पौधे केवल इनसेक्ट को ही आकर्षित नहीं करते, चमगादड़ जैसे मैमल्स को संदेश भेज कर अपने पास बुला लेते हैं। एक मांसाहारी पिचर प्लांट है- नेपेंथेस हेम्सलेना। उसके पास चमगादड़ (बैट) को आकर्षित करने का एक अनूठा सिस्टम है। इस प्लांट का आकार कटोरे या घड़े जैसा होता है। एक नई स्टडी के मुताबिक, इस प्लांट का स्ट्रक्चर ऐसा होता है कि उसके कारण चमगादड़ उसके पास खिंचे चले आते हैं और अपने मल-मूत्र के जरिये इस पिचर प्लांट को पोषक तत्व प्रदान करते हैं।

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