मोहित का आत्मविश्वास

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मोहित का आत्मविश्वास

आज मैं जिस लड़के की कहानी आप को सुनाने जा रहा हूं उसका नाम मोहित है| मोहित को बचपन से ही घूमने फिरने का बहुत शौक रहा है| नई जगह को देखना और नए लोगों से मिलना उसकी आदत में शुमार था|

‘स्नो ग्लाइडिंग(Snow gliding) उसका सबसे पसंदीदा शौक बन गया था| जिंदगी पूरी तरह से उसके हाथों में थी और वह जिंदगी को पूरी तरह से जी रहा था|



 

 

लेकिन फिर एक झटके ने अचानक उसकी पूरी जिंदगी ही बदल कर रख दी| मोहित को मैनिंजाइटिस हो गया जिसकी वजह से उसका बाया कान, किडनी और घुटनों के नीचे दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया था|

उसके परिवार वालों का रो रो कर बुरा हाल था| वे उस दिन को कोस रहे थे जब मोहित ने लद्दाख जाने का फैसला किया था| काफी दिनों तक कोमा में रहने के बाद जब मोहित को होश आया तो उसके दोनों पैर गायब थे| जो आदमी अपने पैरों से दुनिया नापने की ख्वाहिश रखता हो उसके पैर ही नहीं रहे तो ऐसी जिंदगी का फिर कोई मतलब नहीं रह जाता है|

मोहित की जिंदगी कुछ ही दिनों में बदल गई| मोहित अब डिप्रेशन में चला गया और हर वक्त अपने अधूरे सपनों के बारे में सोचता रहता था| एक दिन अचानक उसने तय किया कि ऐसे कब तक चलेगा| उसने वापस से जीवन को नए सिरे से जीने का फैसला किया| डॉक्टरों की मदद से उसने प्रोस्थेटिक पैर लगवाएं और फिर से अपने पैरों पर खड़ा होना सीख लिया|

जब भी कोई उससे पूछता तो वह केवल एक ही बात कहता:- जिंदगी में जो होता है अच्छे के लिए होता है|

मेरे साथ यह होना भी जरूरी था क्योंकि मेरा सपना था कि मैं दुनिया घूमूं और स्नो ग्लाइडिंग का अपना शौक पूरा करूं| लेकिन मेरे पैर जवाब दे देते थे, खासकर ज्यादा ठंड में अकड़ जाते थे| खून जमने लगता था लेकिन अब मेरे पैर रबर के हैं|

मैं जितनी देर तक चाहूं बर्फ में रह सकता हूं और सिर्फ यही नहीं अब मुझे अपने जूतों के साइज की भी चिंता नहीं| क्योंकि मेरे पास हर साइज के पैर जो मौजूद हैं|

अपने दोनों पैर खोने के बाद भी मोहित एक जिंदादिल स्नोग्लाइडर के साथ-साथ एक sports trainer भी बना जो देश के विकलांग लोगों को sports सिखाने का काम करता था|