सत्य का फल

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सत्य का फल

विकास अक्सर अपने माता-पिता से पूछते थे कि दुनिया में सबसे कीमती चीज क्या है?

कई दिनों के बाद पिताजी ने विकास से कहा:- चलो आज एक सेमिनार में तुम्हें तुम्हारे सवाल का जवाब मिल जाएगा|

विकास तुरंत ही पिता के साथ चल दिया| सेमिनार में एक वक्ता ने 500 रुपए का नोट लहराते हुए अपनी बात शुरू की| वक्ता ने हॉल में बैठे सैकड़ों लोगों से पूछा,  कोई यह 500 का नोट लेना चाहता है?



 

अब लोगों के हाथ उठने शुरू हो गए| उसने नोट को देने से पहले लोगों से कहा कि मैं इस नोट के साथ कुछ करना चाहता हूं|
फिर उसने नोट को अपनी मुट्ठी में लेकर कई जगह से मोड तोड़ दिया और फिर उसने पूछा, इस सेमिनार में अभी भी कोई है जो इस नोट को लेना चाहता है?

अभी भी कई लोगों ने हाथ उठा दिए| उस वक्ता ने फिर कहा, अच्छा नोट को नीचे गिरा कर अपने पैरों से कुचल दूं तो|
फिर भी क्या आप लोग इस 500 रुपए के नोट को accept करोगे?

उस पागल आदमी ने नोट को फिर कुचल दिया और नोट बिल्कुल गंदा हो गया था| उस आदमी ने फिर पूछा, क्या कोई इस नोट को लेना चाहता है?

कई लोगों ने फिर से हाथ उठा दिए| फिर उसने सभी लोगों से कहा दोस्तों,

आपने आज एक बहुत महत्वपूर्ण सबक सीखा है| मैंने इस नोट के साथ इतना कुछ किया, फिर भी आप इस नोट को लेना चाहते हैं| क्योंकि यह सब होने के बावजूद भी नोट की कीमत नहीं घटी, उसका मूल्य अभी भी 500 रुपए ही है|

इसी तरह से जीवन में हम कई बार गिरते हैं, हारते हैं| कई बार हमारे द्वारा लिए गए निर्णय हमें गिरा देते हैं|
हमें ऐसा लगने लगता है कि इस जिंदगी में हमारा कोई मूल्य नहीं है|

लेकिन एक बात को समझ लीजिए दोस्तों,
जीवन में आपके साथ चाहे कुछ भी हुआ हो, या भविष्य में आपके साथ कुछ भी घटना घटित होने वाली हो| आपका मूल्य जिंदगी भर कम नहीं होता है|you are the special.