*_अब मुनासिब है घर बना लूँ अपने दर्मियां अपने दिल-ए-सवालात का। तबियत इज़ाजत नही देती मुझे गुफ्तगू करने की।।। कब्र-ए-गाह दफन ए जुस्तजू आलम-ए-मरहम नसीव नही होता। दफन हो जाती बहुत सी ख्वाहिशे पर याद न आना हर किसी के नसीव नही होता।। वो शायर।।।।_*
बहा कर ले चला वारिश का पानी उन सपनो को जिन्हे हालातो ने दिखाया था कभी ।।। फीके पड़ गय सब तौर तरीके जिन्हे जिन्दगी ने सिखाया था कभी ।।। अब मेघ वरसा ऐसा क्या सरकार,क्या हकुमत देखते रह गये सभी के सभी।। सवाल अब सरकारो से क्या पूछें, जबाब जानते है फिर कह देंगे काम तो करवाया था ओर टेंडर भी लगया है अभी अभी ।।। वो शायर।।।
तिनका तिनका इकठ्ठा किया घोंसला बनाया। एक तुफान आया उड़ा कर ले गया। फिर कोशिश की तिनका तिनका इकठ्ठा किया तुफान आया उड़ा कर ले गया। फिर वही कोशिश इकठ्ठा किया तुफान आया उड़ा कर ले गया।। इस बार इकठ्ठा करने के लिए कुछ भी नही बचा तुफान आया चला गया। तूफान आया चला गया ।। वो शायर।।।।
बहुत शिद्द्तों से बने आशियां की दीवारे-ए-दर्मिन्यां की दरारे भरने चला था मैं। मसरूफ इतना था की पता ही नही चला की कब दिवार मेरे उपर गिर गयी। अब न दर रहा न रही दिवार ओर ना ही रही कोई दरार। रहा सिर्फ दर्द,ज़खम वस ज़खम Vo shayar
सुना है हिसाब माँगते हो आओ बैठो कर देते हैं। बढ़ गई है शायद दिलों में बहुत नफ़रत सामने आओ थोड़ी और भर देते हैं। वो शायर
अपने ही दिये जखम भर रहा हूं मैं क्या बताऊँ किसी को की आजकल क्या कर रहा हूं मैं। फैसला मेरा है इसलिए शिकायत नहीं है किसी से मुझे अपने आप से ही रह रह कर गुजर रहा हूं मैं। जरूरत नहीं है अब किसी के साथ की,मिजाज ए बारिश का रुख जानता हूं पानी की तरह पल पल बह रहा हूं मैं। ईलम नहीं है मुझे गजल ए वफ़ा लिखने का ना जाने क्या-क्या कह रहा हूं मैं। बस जानता हूं आवाज ए बयान की गुफ्तगू इसलिए कुछ नया कर रहा हूं मैं। वस अब और बर्दाश्त नहीं होता यह सोच सोच कर रोज अपने आलम ए दासताँ का घर भर रहा हूं मैं। न जाने आजकल क्या कर रहा हूं मैं, न जाने आजकल क्या कर रहा हूं मै। वो शायर
जंजीरों में जकड़ी हुई लफ्ज़-ए-सियाही को मिटा देना चाहती है आलम-ए आवाम फिर कहते हैं कि हिज्र-ए-बयानात का मौका नही मिलता || वो शायर |||
arun is online
gulab is online
rehan is online
Shivansh is online
Mahipal is online
Sonu is offline
Musab is offline
Laden is offline
bharat is offline
Dileep is offline
Munna is offline
Rahul is offline
geeta is offline
kamal is offline
vishav is offline
Please Login or Sign Up to write your book.