याद आएगी तेरी हर रोज मगर तुझे आवाज न दूंगा , लिखूंगा तेरे लिए ही हर लफ्ज़ मगर तेरा नाम न लूंगा।
किसी के हाथ का कंगन खनक ना भूल बैठा है कोई सिंगार करके भी महकना ना भूल बैठा है चले आए हो जब से छोड़ कर तन्हा किसी को तुम अब उसके सर के आंचल भी सरकाना ना भूल बैठा है।।
आंखों को देखकर इंतजार का हुनर चला गया .. . चाहा था एक शख्स को ..... ना जाने किधर चला गया ...
हवा चुरा ले गई थी मेरी गजलों की किताब, देखो आसमान पढ़ के रो रहा है, और नासमझ जमाना खुश है कि बारिश ही रही है ।।
जब तक तू मेरे साथ है, मैं हर पल तेरा साथ निभाऊंगा, तु मुझे छोड़ कर चली जाएगी ना, तब भी मैं हर मुश्किल में तेरे साथ नजर आऊंगा ,अगर तेरी खुशी किसी और के साथ है , तो तू उसके साथ चली जाना अरे मैं तो वो आशिक हूं ,बस तेरी गमों को अपना बनाऊंगा।। Yashraj
अरे उसके लिए सारी दुनिया से बगावत की थी ।। अरे याद आता है की हमने भी किसी से मोहब्बत की थी ।।उसको छोड़ कर हंसते हुए आए हम।। घर आकर इतना रोए कि हमारी आंखों ने भी हमसे शिकायत की थी।। Yashraj
ऐ समन्दर, मैं तुझसे वाकिफ हूं मगर इतना बताता हूँ, वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी है, जिस सनम का मैं आशिक हूँ !! Yash raj
अब क्या सुनाऊं अपनी मोहब्बत की दास्तान ये दोस्तो । उसकी चाहतो ने दीवाना बनाया , और उसकी बेबसी ने सायर।।।
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