Bewafa Shayari

Posted On: 10-10-2016

अपनी मरजी से कहाँ अपने सफर के हम हैं! रुख हवाओं का जिधर का हैं उधर के हम हैं !! चलते रहते हैं कि चलना हैं मुशाफिर का नसीब ! सोचते रहते हैं किस राहे गुजर के हम हैं !! वक़्त के साथ हैं मिट्टी का सफर सदियो से ! किसको मालूम हैं कहाँ के हैं किधर के हम हैं !!!

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