Dard Bhari Shayari

जहा जीती पर मेरी मात हो गई है तन्हा सखसियत मेरी कायनात हो गई है देखना तुम हवा में उठेगी मेरी भी खुशबू अब मेरी जाट दरख़्त की जात हो गई है हर एक बेवफा अब ईमान से बाहर होगा शहर के दानिशवरों से मेरी बात हो गई है सिखस्त खा कर ऐसे उठा रहा हूं तजुर्बे मानो मेरी जिंदगी एक वारदात हो गई है अब मुझे डर नहीं हुस्न से मेरे जाने का जितनी मुमकिन थी एहतियात हो गई है सलीम कमल उसमे ऐसे डुबो जाता है मानो की वो लड़की नहीं दावत हो गई है

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