Hindi Shayari

Posted On: 08-01-2020

"फसल नहीं हुई" क्या करूं की मेरी मेहनत सफल नहीं हुई, कि इस बार भी खेत में वो फसल नहीं हुई । बिन बात भी जलते थे कुछ लोग मुझसे, पर इस बार किसी को कोई जलन नहीं हुई । लोग हिसाबे जमाना बदलते गए लिबाज़ अपने, पर हमसे कभी किसी की नकल नहीं हुई । यूं तो कोशिशें बहुत की जिंदगी में हमने, पर जिंदगी अपनी फिर भी सरल नहीं हुई । वो तो पूंछ लेते हैं मेरा हाल आज भी दोस्तों से, पर उनकी जिंदगी में हमसे कभी दखल नहीं हुई । कोई भी घोल कर पी जाए ऐसा मुमकिन नहीं है, हालत पतली है पर इतनी भी तरल नहीं हुई । यूं तो रोज डसते है आस्तीन के सांप मुझको, पर मुझे अब भी समझ इसां की असल नहीं हुई । पड़ गई है झुर्रियां जिम्मेदारी निभाने में, वरना जवानी में हमारे इतनी भी ढलन नहीं हुई । क्या किया क्या न किया ये तो याद नहीं मुझको, पर फलक पे जाने की उम्मीद अभी दफन नहीं हुई । छोड़ो नफरतें कि अभी प्यार की जरूरत है, याद रख कि जिंदगी किसकी यहां कफ़न नहीं हुई । "प्रवीण"

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