Love Shayari

Posted On: 28-08-2017

खुशियों की दामन में आँसू गिराकर तो देखिये, ये रिश्ता कितना सच्चा है आजमा कर तो देखिये, आपके रूठने से क्या होगी मेरे दिल की हालत, किसी आइने पर पत्थर गिराकर तो देखिये।

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    खुशियों की दामन में आँसू गिराकर तो देखिये, ये रिश्ता कितना सच्चा है आजमा कर तो देखिये, आपके रूठने से क्या होगी मेरे दिल की हालत, किसी आइने पर पत्थर गिराकर तो देखिये।

    27-04-2020
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    wow

    27-04-2020
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    nice

    27-04-2020
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    हाथ से बीतते हुए लम्हों को कैसे रोकूँ, जो मुकद्दर-ए-ज़िन्दगी है उसे कैसे टोकूं, खुदा न करे कि ऐसा लम्हा आये, जो सारी ख्वाहिशों को संग ले जाए, इजाज़त बस खुदा से इतनी चाहिए, जितनी भी ज़िन्दगी है बस तेरी याद में बीत जाये। तेरे बिना भी क्या ज़िन्दगी, चलती तो हवाएं भी हैं, तेरे बिना क्या ज़िन्दगी, बदलते तो रुख भी हैं, फर्क बस इतना सा है, कि हवाओं और रुख का मोड़ होता है, मैं तो यूँ भी तेरे बिना बेवजह हूँ। राह चलते तो हजारों मुसाफिर मिलते हैं, ज़िन्दगी में तो कई मुसाफिर अपने बनते हैं, अपनों और गैरों में भी बहुत फर्क होता है, कुछ पास होके भी दूर हैं, कुछ दूर होके भी दिल के सबसे करीब हैं।

    27-04-2020
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    काग़ज़ काग़ज़ हर्फ़ सजाया करता है, तन्हाई में शहर बसाया करता है, कैसा पागल शख्स है सारी-सारी रात, दीवारों को दर्द सुनाया करता है, रो देता है आप ही अपनी बातों पर, और फिर खुद को आप हंसाया करता है।

    27-04-2020
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    यूं आये जिंदगी में कि ख़ुशी मिल गई, मुश्किल राहों में चलने की वजह मिल गई, हर एक लम्हा खुशनुमा बना दिया, मेरी उम्मीद को नई मंजिल मिल गई।

    27-04-2020
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    इश्क़ में खुद को गिरफ्तार तो होने दो, अपने जिस्म पे मेरा इख्तियार तो होने दो, मोहब्बत यूँ ना ठुकराओं मेरी ये नाइंसाफी है, मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है। मेरे प्यार को जरा तैयार तो होने दो, मेरी हदों को जरा सा पार तो होने दो, अब तलक तुमने मेरी हद कहाँ नापी है, मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है। ठीक से अभी आँखों को चार तो होने दो, मेरे इश्क़ का जुनून खुद पे सवार तो होने दो, दिल की गहराइयों में अब तलक तू कहाँ झाँकी है, मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है। तुमहारी पलकों को मेरा इंतज़ार तो होने दो, भीतर से हाँ बाहर से इंकार तो होने दो, मेरी तन्हाइयों ने बस तेरी ही राह ताकी है, मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है। अपना दिल मेरी ओर फ़रार तो होने दो, ज़माने की नज़रों में मुझे गुनहगार तो होने दो, इश्क़ करना ग़र है गुनाह तो माफ़ी है, मुकम्मल तो होने दो, अभी बाकी है।

    27-04-2020
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    भंवर से निकलकर किनारा मिला है, जीने को फिर से एक सहारा मिला है, बहुत कशमकश में थी ये ज़िंदगी मेरी, उस ज़िंदगी में अब साथ तुम्हारा मिला है। प्रतिमा जी यह आपके लिए अजय की तरफ से

    27-04-2020

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