Posted On: 13-08-2019

“जल ही जीवन है”

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“जल ही जीवन है”

पर्यावरण को बचाना हमारा नैतिक कर्तव्य ही नहीं है, बल्कि हमारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी भी है| इसके लिए बच्चों में नैतिकता का संचार करते हुए कवि ने अपनी कविता (Poem on Water in Hindi) के माध्यम से जल संरक्षण के संबंध में बहुत ही अच्छी बातें
                                                                         

भैया पानी नहीं बहाना,

अब घंटे भर नहीं नहाना |

पानी बहुत हुआ है महंगा,

बड़ा कठिन है पानी लाना |

हम सबको है बड़ा जरुरी,

धरती का पर्यावरण बचाना |

पानी गन्दा आया नल में,

पिया बीमार हुआ दो पल में |

उसको उलटी दस्त हो गए,

हाथ पैर भी लस्त हो गए |

पानी(water) सदा साफ़ पीना है,

स्वस्थ रहो लम्बा जीना है |

गन्दा है तो रोज उबालो,

थोड़ा ज़रा फिटकरी डालो  ||

पंडित दयाल श्रीवास्तव

जल है जीवन का आधार,

जल को न फेंको बेकार |

जल से ही सब जीवन पाते,

जल बिन जीवित न रह पाते |

जल(Jal) को क्यों फिर व्यर्थ बहाते,

बात सरल सी समझ न पाते |

बदल भाप अम्बर में जाता,

मेघो के घर में भर जाता |

वर्षा में धरती पर आता,

धरती से अम्बर तक जाता |

यही निरंतर चलता रहता,

यही जल चक्र कहलाता |