Posted On: 11-09-2018

रामावतार त्यागी RAMAUTAR TAYAGI

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ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है JINDAGI OR BATA TERA IRADA KYA HAI

ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
इक हसरत थी कि आँचल का मुझे प्यार मिले
मैंने मंज़िल को तलाशा मुझे बाज़ार मिले

मुझको पैदा किया संसार में दो लाशों ने
और बर्बाद किया क़ौम के अय्याशों ने
तेरे दामन में बस मौत से ज़्यादा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है

जो भी तस्वीर बनाता हूँ बिगड़ जाती है
देखते-देखते दुनिया ही उजड़ जाती है
मेरी कश्ती तेरा तूफ़ान से वादा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है

तूने जो दर्द दिया उसकी क़सम खाता हूं
इतना ज़्यादा है कि एहसां से दबा जाता हूं
मेरी तक़दीर बता और तक़ाज़ा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है

मैंने जज़्बात के संग खेलते दौलत देखी
अपनी आँखों से मोहब्बत की तिजारत देखी
ऐसी दुनिया में मेरे वास्ते रक्खा क्या है
ज़िंदगी और बता तेरा इरादा क्या है

आदमी चाहे तो तक़दीर बदल सकता है
पूरी दुनिया की वो तस्वीर बदल सकता है
आदमी सोच तो ले उसका इरादा क्या है

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सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे

आने पर मेरे बिजली-सी कौंधी सिर्फ तुम्हारे दृग में
लगता है जाने पर मेरे सबसे अधिक तुम्हीं रोओगे !
 
मैं आया तो चारण-जैसा
गाने लगा तुम्हारा आंगन;
हंसता द्वार, चहकती ड्योढ़ी
तुम चुपचाप खड़े किस कारण ?
मुझको द्वारे तक पहुंचाने सब तो आये, तुम्हीं न आए,
लगता है एकाकी पथ पर मेरे साथ तुम्हीं होओगे!

मौन तुम्हारा प्रश्न चिन्ह है, 
पूछ रहे शायद कैसा हूं 
कुछ कुछ बादल के जैसा हूं; 
मेरा गीत सुन सब जागे, तुमको जैसे नींद आ गई, 
लगता मौन प्रतीक्षा में तुम सारी रात नहीं सोओगे! 

तुमने मुझे अदेखा कर के
संबंधों की बात खोल दी;
सुख के सूरज की आंखों में 
काली काली रात घोल दी;
कल को गर मेरे आंसू की मंदिर में पड़ गई ज़रूरत 
लगता है आंचल को अपने सबसे अधिक तुम ही धोओगे!

परिचय से पहले ही, बोलो, 
उलझे किस ताने बाने में ?
तुम शायद पथ देख रहे थे, 
मुझको देर हुई आने में;
जगभर ने आशीष पठाए, तुमने कोई शब्द न भेजा,
लगता है तुम मन की बगिया में गीतों का बिरवा बोओगे!