प्रेरक कहानी : नदी का किनारा

client1

प्रेरक कहानी : नदी का किनारा

एक बार की बात है किसी गांव में एक लड़का रहता था। उसका नाम छोटू था, वो दिनभर खेतों में काम करता और खेती करके ही अपने परिवार का गुजारा चलता था। छोटू वैसे तो अब बड़ा हो गया था लेकिन उसने बचपन से ही बहुत गरीबी देखी थी।


छोटू को हमेशा लगता था कि उसका जीवन कितना कठिन है। एक समस्या खत्म नहीं होती कि दूसरी शुरू हो जाती है। पूरा जीवन इन समस्याओं को हल करने में ही निकला जा रहा है। 
ऐसे ही एक दिन छोटू एक साधु के पास पंहुचा और उन्हें अपनी साभी परेशानियां बताई कि किस तरह से उसे अपना घर-खर्च चलाने में मुश्किल आती है, कितनी मुश्किल से वो अपनी जिम्मेदारियां निभा पाता है। उसने अपनी सारी परेशानियां बताने के बाद साधु से पूछा कि जिंदगी की कठिनाइयों का सामना कैसे करूं? एक परेशानी खत्म होती है तो दूसरी शुरू हो जाती है।
साधु महाराज हंसकर बोले- तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हारी परेशानी का हल बताता हूं।

साधु छोटू को एक नदी के किनारे लेकर पहुंचे और बोले – मैं नदी के दूसरी पार जाकर तुमको परेशानी का हल बताऊंगा। इतना कहकर साधु नदी के किनारे खड़े हो गए। छोटू भी उनके साथ खड़ा था। ऐसे ही खड़े-खड़े उन्हें काफी देर हो गई थी। छोटू ने आश्चर्यचकित होकर पूछा कि महाराज हमें तो नदी पार करनी है तो हम इतनी देर से किनारे पर क्यों खड़े हैं?

साधु महाराज बोले– बेटा मैं इस नदी के पानी के सूखने का इंतजार कर रहा हूं, जब ये सूख जायेगी तो फिर कोई समस्या नहीं रहेगी और हम आराम से नदी पार कर लेंगे।

छोटू को साधु की बातें मूखर्तापूर्ण लगीं, वो बोला – महाराज नदी का पानी कैसे सूख सकता है आप कैसी बातें कर रहे हैं...

साधु हंसकर बोले – बेटा यही तो मैं तुन्हें समझाना चाह रहा हूं। जीवन में रहते हुए समस्याएं न हो, ऐसा कैसे हो सकता है?

जब तुन्हें पता है कि नदी का पानी नहीं सूखेगा, तो तुन्हें खुद ही प्रयास करके नदी को पार करना होगा। वैसे ही जीवन में समस्याएं तो चलती रहेंगी, तुन्हें सभी का केवल अपने प्रयासों से हल ढूंढ़ते जाना है। अगर किनारे बैठ कर नदी का पानी सूखने का इंतजार करोगे तो जीवन भर कुछ नहीं पा सकोगे। पानी तो बहता रहेगा, समस्या तो आती रहेंगी लेकिन तुन्हें नदी की धार को चीरते हुए आगे जाना होगा, हर समस्या को धराशायी करना होगा। तभी जीवन में आगे बढ़ सकोगे। अब छोटू को सधु महाराज की बातें अच्छे से समझ आ गई थी।