उज्जैन नगरी में एक निडर और बहुत ही साहसी युवक रहता था| उस राज्य के राजा के कोई भी संतान ना होने के कारण और एक दिन राज्य के राजा के आकस्मिक निधन हो जाने के कारन राज गद्दी का कोई भी वारिस नहीं बचा| एक दिन उस युवक को ज्ञात हुआ की राज्य के राजा के निसंतान मर जाने के कारण राज्य के नए राजा की तलाश हो रही है इसलिए उसने भी इस पद हेतु अपना नाम प्रस्तावित करने की सोची|
बस युवक था तो निडर और साहसी, एक दिन सवेरे-सवेरे ही वह राजा के महल में पहुँच गया और राज्य के मंत्रीयों को उसके राजा पद के योग्य होने की बात कह डाली| राज्य के मंत्रियों ने उसकी बात सुनी और उसे बताया की तुमसे पहले भी कई लोग इस पद के लिए महल में आएं हैं, परन्तु किसी क्षाप वश उनका निधन उनके राज्याभिषेक की रात में ही हो गया| अगर तुम भी अपना जीवन सुरक्षित चाहते हो तो एसा मत करो|
युवक काफी निडर था| उसने बिना किसी भय के यह चुनोती स्वीकार कर ली| राज्य के राजा होने की सभी परीक्षाएं उत्तीर्ण करने के बाद उसे राजा के लिए योग्य माना गया| तय समय पर युवक का राज्याभिषेक हुआ| राज्याभिषेक होने के बाद उसने विचार किया, कि हो ना हो अवश्य किसी देव या दानव का रोष इस राज्य पर है| अगर उस देव या दानव को किसी तरह संतुष्ट कर लें तो इस समस्या से बचा जा सकता है| राजा ने राज्याभिषेक की रात को ही अपने कक्ष में अनेक व्यंजन बना कर रख दिओये और खुद एक तलवार लेकर कक्ष के कोने में ही छुपकर बेठ गया|
रात को देवराज इंद्र का द्वारपाल, अग्निवेताल वहां आया और उन व्यंजनों को देखकर प्रसन्न हो गया| उसने सोचा क्यों ना में पहले इन व्यंजनों का लुफ्त उठा लु उसके बाद राजा को लेकर चला जाऊंगा| अग्निवेताल उन व्यंजनों को ग्रहण करके बोला, “राजन! यदि तुम रोज़ मेरे लिए इसे ही स्वादिष्ट व्यंजनों का प्रबंध करोगे तो में तुम्हें अभयदान दूंगा| राजा ने अग्निवेताल का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और अग्नि वेताल से बोला, “तुम देवराज इंद्र से पुचकार बताओ कि मेरी उम्र कितनी है?”
अगले दिन अग्निवेताल फिर रजा के कक्ष में आया और राजा को बोला, “राजन! आपकी उम्र 100 वर्ष है|” इतना सुनते ही राजा ने तलवार अग्निवेताल की गर्दन पर रख दिया और कहा – “इसका अर्थ है, कि तुम मेरा अंत 100 वर्ष के पहले नहीं कर सकते|”
अग्निवेताल राजा की बुद्धिमता व् निडरता से अत्यंत प्रसन्न हुआ और उन्हें एक संपन्न राज्य का वरदान दिया| वही राजा आगे चलकर महाराज विक्रमादित्य के नाम से जाने गए|
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