मज़बूरी में जब कोई जुदा होता है, ज़रूरी नहीं कि वो बेवफ़ा होता है, देकर वो आपकी आँखों में आँसू, अकेले में वो आपसे ज्यादा रोता है.
भीड़ भाड़ को छोड़ आए हैं बस तन्हाई भाई है. वहां बहुत बेचैनी भोगी यहां खुमारी छाई है. वो सवाल अब यहां नहीं हैं जिनके उत्तर मुश्किल थे. जितनी हमने इच्छा की थी उतनी राहत पाई है.
दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद वक़्त बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं मेरी गली से गुज़रते हैं छुपा के खंजर रु-ब-रु होने पर सलाम किया करते हैं.
किसी के दिल पे क्या गुजरी हे वो अनजान क्या जाने, प्यार किसको कहते हे वो नादान क्या जाने, हवा के साथ उठा ले गया घर का परिंदा, केसे बना था ये घोसला वो तूफान क्या जाने.
Bharat Mata Teri Gatha, Sabse Unchi Teri Shaan, Tere Age Sheesh Jhukaye, De Tujhko Hum Sab Samman!
मैं भारत बरस का हरदम अमित सम्मान करता हूँ यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ, मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की, तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ।
संस्कार और संस्कृति की शान मिले ऐसे, हिन्दू मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले ऐसे हम मिलजुल के रहे ऐसे की मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में राम मिले जैसे.
Please Login or Sign Up to write your book.