Posted On: 20-08-2018

मोहब्बत नहीं है क़ैद मिलने या बिछड़ने की​, ये इन खुदगर्ज़ लफ़्ज़ों से बहुत आगे की बात है।

Posted On: 20-08-2018

कितना वाकिफ थी वो मेरी कमजोरी से, वो रो देती थी, और मैं हार जाता था।

Posted On: 20-08-2018

गुमनामी का अँधेरा कुछ इस तरह छा गया है, कि दास्ताँ बन के जीना भी हमें रास आ गया है।

Posted On: 20-08-2018

अधूरी मोहब्बत मिली तो नींदें भी रूठ गयी, गुमनाम ज़िन्दगी थी तो कितने सकून से सोया करते थे।

Posted On: 20-08-2018

जिंदगी बड़ी अजीब सी हो गयी है, जो मुसाफिर थे वो रास नहीं आये, जिन्हें चाहा वो साथ नहीं आये।

Posted On: 20-08-2018

किताबें भी बिल्कुल मेरी तरह हैं अल्फ़ाज़ से भरपूर मगर खामोश।

Posted On: 20-08-2018

वो मुस्कान थी कहीं खो गयी, और मैं जज्बात था कहीं बिखर गया।

Posted On: 20-08-2018

मरना भी मुश्किल है जिस शख्श के वगैर, उस शख्स ने ख्वाबों में भी आना छोड़ दिया​।

Posted On: 20-08-2018

हम तो बने ही थे तबाह होने के लिए, तेरा छोड़ जाना तो महज़ बहाना बन गया।