Sharabi Shayari

शौक नहीं है मजबूरी है दोस्त सुना है शराब सारे गम भुला देती है या तो रुला देती है या फिर सुला देती है ||

मंदिरो मे हिंदू देखे, मस्जिदो में मुसलमान, शाम को जब मयखाने गया, तब जाकर दिखे इन्सान..........!!!

मोहब्बत भी उस मोड़ पे पहुँच चुकी है, कि अब उसको प्यार से भी मेसेज करो, तो वो पूछती है कितनी पी है…!!!

शाम खाली है जाम खाली है, ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है, सब लूट लिया तुमने जानेजाँ मेरा, मैने तन्हाई मगर बचा ली है......!!!

जाम तो उनके लिए है, जिन्हें नशा नहीं होता, हम तो दिनभर "तेरी यादों के नशे में यूँ ही डूबे रहते है".........!!!

जो पीने-पीलाने की बात करते है, कह दो ऊनसे कभी हम भी पीया करते थे, जीतने मे यह लोग बहक जाते है, ऊतनी तो हम ग्लास मे ही छोड दीया करते थे…....!!!

लबो पे आज उनका नाम आ गया, प्यासे के हाथ में जैसे जाम आ गया, डोले कदम तो गिरा उनकी बाहों में जाकर, आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया........!!!

आंखे है उनकी या है शराब का मेहखना, देख कर जिनको हो गया हूँ मै दीवाना, होठ है उनके या है कोई रसीला जाम, जिनके एहसास की तम्मना मे बीती है मेरी हर शाम......!!!

मैं पिए रहुं या न पिए रहुं, लड़खड़ाकर ही चलता हु, क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हैं….!!!

हम ने मोहब्बत के नशे में आ कर उसे खुदा बना डाला, होश तब आया जब उस ने कहा कि खुदा किसी एक का नहीं होता.......!!!

पी लिया करते हैं जीने की तमन्ना में कभी, डगमगाना भी ज़रूरी है संभलने के लिए.......!!!

सिगरेट के साथ बुझ गया सितारा शाम का, मयखाने पुकारे.. ग्लास की उम्र होने आई है….....!!!

ऐ शराब !! मुझे तुमसे मोहब्बत नही, मुझे तो उन पलों से मोहब्बत है, जो तुम्हारे कारण, मै दोस्तौ के साथ बिताता हूँ…...!!!

तुम्हारी आँखों की तौहीन है जरा सोंचो, तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है.........!!!

शायरी इक शरारत भरी शाम है, हर सुख़न इक छलकता हुआ जाम है, जब ये प्याले ग़ज़ल के पिए तो लगा मयक़दा तो बिना बात बदनाम है….....!!!