Dosti Shayari

दोस्तों की महफिल में बैठे हम सारे गम भुला गए गिरते थे जो हम हाथ पकड़ संभलना सिखा गए वह दोस्त ही तो थे जो हमें वह जीना सिखा गए पीते थे खुद ओ बियर हमको सोडा पिला गए पार्टी तो देते थे अपने नाम के पर बिल हमारे नाम पड़ गए लगा जो चोट मुझे कभी दर्द उनको होता था रोता हूं जो मैं कभी उनकी आंखों से आंसू बहता था ए दोस्त तो ही है जो हमको गमों में हंसना सिखा गए

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