Hindi Shayari

कास में समंदर की लहरें होता और तू होती गंगा की धारा प्यास बुझाने को तू मेरी छोड़ आती अपना किनारा जो तू कर ले निश्चय खुद से खुद में मिलने को क्या हस्ती खड़ा हिमालय रोक सके तुझको आ भर दे तू मुझको उतर मेरी गहराई में तू मेरी भरने की वजह बन मैं बनू तेरा किनारा आ बुझा जा तू मेरे प्यास को ले अपने प्रेम रस धारा काश मैं समंदर की लहरें होता और तुम होती गंगा की धारा

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