Beauty In Life Quotes

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Posted On: 30-07-2022

Posted On: 21-07-2022

इतनी मेहनत करो की सपने मजबूत हो जाए पुरे होने के लिए।

Posted On: 12-07-2022

मेरा जीवन एक खुला किताब है | हर कोई जानने को रहता बेताब है | मेरे जीवन से प्रेरणा हैं सब लेते | मान सम्मान मुझे हैं देते |

Posted On: 07-07-2022

मंजिल दूर नहीं मंजिल दूर नहीं कोशिश तो करके देख जिंदगी मिली है भीख नहीं जीकर तो देख खुद को कमजोर समझेगा कब तक गुरुर करके तो देख सब से आगे खुद को ही समझेगा भरोसा करके तो देख। शिवकुमार बर्मन ✍️

Posted On: 06-01-2022

Saree zindagee hum koshish karty rahay. Toba ka sajada karnasky. Zindgee yuhee guzarti gayee gunahu mai yuhee uljatee gayee

Posted On: 22-12-2021

मौत को तो यूही बदनाम करते ह लोग.. तकलीफ तो जिंदगी देती है।

😊✨👌🤩 मेरी जिन्दगी मेरी जान हो तुम, मेरे सुकून का दूसरा नाम हो तुम. 😊✨👌🤩

Posted On: 18-10-2021

Posted On: 09-07-2019

Zaroorat to hoti hai sabhi ko mager, Kuch zaroorat airayish hoti hai zindagi ki.

Posted On: 18-05-2019

जिंदगी जैसे जलानी थी वैसे जला दी हमने, अब धुएं पर बहस कैसी और राख पर ऎतराज कैसा ।

Posted On: 24-04-2019

Mujhe Dard Se Shikwa Nahin Hai Ye khuda........ Bus Dard Mein muskurane ki Kala Mujhe bakhste Rehana

Posted On: 21-04-2019

Wakt sahi nhi toh Kya ,wakt ko sahi karne ki takad Hain humme. Wakt rutha Hain humse to Kya, wakt ko manane ki adat hain humme.

Posted On: 10-03-2018

Posted On: 04-03-2018

*"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें *"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं आज *"जिस्म"* मे *"जान"* है तो देखते नही हैं *"लोग"* जब *"रूह"* निकल जाएगी तो *"कफन"* हटा हटा कर देखेंगे *किसी ने क्या खूब लिखा है* *"वक़्त"* निकालकर *"बाते"* कर लिया करो *"अपनों से"* अगर *"अपने ही"* न रहेंगे तो *"वक़्त"* का क्या करोगे *"गुरुर"* किस बात का... *"साहब"* आज *"मिट्टी"* के ऊपर तो कल "मीट्टीकै नीचे.

Posted On: 21-12-2017

उठ जाता हूं..भोर से पहले..सपने सुहाने नही आते.. अब मुझे स्कूल न जाने वाले..बहाने बनाने नही आते.. कभी पा लेते थे..घर से निकलते ही..मंजिल को.. अब मीलों सफर करके भी...ठिकाने नही आते.. मुंह चिढाती है..खाली जेब..महीने के आखिर में.. अब बचपन की तरह..गुल्लक में पैसे बचाने नही आते.. यूं तो रखते हैं..बहुत से लोग..पलको पर मुझे.. मगर बेमतलब बचपन की तरह गोदी उठाने नही आते.. माना कि..जिम्मेदारियों की..बेड़ियों में जकड़ा हूं.. क्यूं बचपन की तरह छुड़वाने..वो दोस्त पुराने नही आते.. बहला रहा हूं बस दिल को बच्चों की तरह.. मैं जानता हूं..फिर वापस बीते हुए जमाने नही आते..