छुट्टी भेज दो यार , अपना भी है एक छोटा सा परिवार , क्या मुझे अच्छा नहीं लगता गांव घर, या मैं ऐसे ही घूमता रहूं दर बदर , कभी इधर कभी उधर कभी वहां जाना है , घर वाले पूछ रहे हैं छुट्टी कब आना है , क्या बोलूं घर वालों को कि नहीं मिल रहा है अवकाश , जब आऊंगा छुट्टी तो समय हो जाएगा पास , ये रख लो अपना तामझाम मुझे घर की याद आ रही है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो अब मेरे इधर ट्रेन जा रही हैं , पहले तो बोले थे हो जाने दो ADM , बंदो को छुट्टी भेज दूंगा कम से कम , साहब जो बोले थे वो बात अब कहां रही , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही , मां चिंतित है गांव में कि तू इधर उधर कहां जाता है , अब तो तुझे भी चार-पांच महीने हो गए छुट्टी क्यों नहीं आ जाता है , अब मां को कैसे समझाऊं कि यहां छुट्टी मिलना इतना आसान नहीं , मैं अकेला बंदा यहॉ छुट्टी से परेशान नही , सबकी मॉए हैं सबको घर की याद आती है , मैं तो झूठ बोलकर भी आ जाऊं मॉ छुट्टी पर यहाँ फर्ज निभाने वाली बात आ जाती हैं , मां मेरी जिंदगी का यही सार है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मेरा भी एक छोटा सा परिवार है , अब और क्या बताऊं साहब भाई का छोटा भाई का कलम छुट्टी लिख लिख कर रह गया , जब शाम हुई तो फिर से ड्यूटी (कर्तव्य) पर चढ़ गया , फिर मॉ फोन करती रही पूरी रात और मैं फोन उठाने से रह गया , अब मां को कैसे बताऊं कि मैं ड्यूटी (कर्तव्य) पर चढ़ गया , ड्यूटी ( कर्तव्य ) से उतर का मां का इतना फोन देखा तो मुझे ऐसा लगा कि मेरी जिंदगी ऐसे ही जा रही है साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही है , साहब मुझे छुट्टी भेज दो मां की याद आ रही है...✍
वाह क्या वक्त चल रहा जो हम खड़े रहते हैं सारी सारी राते , दिन में सोना मुश्किल है और रातो मे हम सो नहीं पाते... ✍️ ~भाई का छोटा भाई
वक़्त की लहरे है जिंदगी का ज़हाज़ हैं जो आज कल था वो कल आज है....✍️ ~भाई का छोटा भाई
बात जो मन में है वो शब्दों में ढाल देता हूं , कभी कभी मैं अपनी रूह को पन्नों में उतार देता हूं....✍️ ~भाई का छोटा भाई
साहब वो बात की कोई वजह नहीं है , थक गया हूं मैं फालतू की बातें सुनते सुनते , अब यह बात सुनने की मेरे में जगह नहीं है....✍ ~भाई का छोटा भाई
ज़िन्दगी की हकीकत को बस इतना ही जाना है , दर्द में अकेले और खुशियों में सारा जमाना है....✍️ ~भाई का छोटा भाई
इस फरेब की दुनिया में, मुझे दुनियादारी नही आती, झूठ को सच साबित करने की, मुझे कलाकारी नही आती, जिसमें सिर्फ मेरा हित हो, मुझे वो समझदारी नही आती, शायद मैं इसीलिए पीछे हूं, कि मुझे होशियारी नही आती, बेशक लोग ना समझे मेरी वफादारी, मगर मुझे गद्दारी नही आती , इसीलिए मैं भाई का छोटा भाई लिखता तो हू, पर मेरी लिखी बात में समझदारी नजर नहीं आती.....✍️
चिखुं चिल्लाऊं मज़ाक बन जाऊं , इससे बेहतर है अंदर ही अंदर रोऊं और मर जाऊं...✍ ~भाई का छोटा भाई
कबूल है की मुझे जी भर के बुरा कहा जाए , मगर जो भी कहा जाये दिल से कहा जाये....✍ ~भाई का छोटा भाई
रात क्या होती है हमसे पूछिए , आप ऑख बंद किए तो रात कम पड़ गई...✍ ~भाई का छोटा भाई
नौ दिन नहीं अब नौ माह वीराज़ों माँ किसी की कोख में , बहुत पाप बढ़ गया है इस पवित्र धरती लोक मे....✍ -bhai Ka Chhota bhai
अब तो इतना बड़ा हो गया हूं कि खुद ही करना पड़ता है खुद की केयर , यहा नाम के लिए बना रखे है बड्डी पे़यर...✍ -bhai Ka Chhota bhai
दिल कह रहा है खुदकुशी कर लो , हम इंतेज़ार मे है कोई हादसा हो जाए....✍ -bhai Ka Chhota bhai
साहब चल चल के थक गया मैं , किसको बताऊं कि अब यह दर्द मुझसे सहा नहीं जाता , पांव में छाले पड़ गए यारों , कोई तो मरहम लगा दो अब मुझसे रहा नहीं जाता....✍ जख्मी बंदा -bhai Ka Chhota bhai
ना जरूरत उसे पूजा पाठ और उपवास की , जिसने सेवा की माँ-बाप की....✍ -bhai Ka Chhota bhai
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