मैं भारत बरस का हरदम अमित सम्मान करता हूँ यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ, मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की, तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ। Vande Mataram
न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं. मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है. की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है…… में अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा रहने दो… लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो Happy Independence Day
फना होने की इज़ाजत ली नहीं जाती, ये वतन की मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती…!! वंदे मातरम् !
दे सलामी इस तिरंगे को जिस से तेरी शान हैं, सर हमेशा ऊँचा रखना इसका जब तक दिल में जान हैं..!! जय हिन्द, जय भारत
Aajadi ki kabhi shaam nahi hone denge, Sahidon ki kurbani badnaam nahi hone denge, Bachi ho jo ek bund bhi garam lahu ki… Tab tak bharat ka aanchal nilaam nahi hane denge.
Adhikar milte nahi liye jate hain Aajad hain magar gulami kiye jate hain Vandan karo un senaniyon ko Jo maut ko aanchal mein jiye jate hain…
जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को, फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को…
ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई , मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता , नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई , मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता.
Jhunnu is offline
Jack is offline
abhay is offline
anonymous is offline
Abhay is offline
KRB is offline
Robert is offline
Himanshu is offline
vikki is offline
anil is offline
sourabh is offline
manibhusan is offline
Gudu is offline
Amrita is offline
Rakesh is offline
Please Login or Sign Up to write your book.