धड़कनो मे बस्ते है कुछ लोग, जबान पे नाम लाना जरूरी नही होता।
तेरा आधे मन से मुझको मिलने आना, खुदा कसम मुझे पूरा तोड़ देता है।
बड़ी अजीब है ये मोहब्बत.. वरना अभी उम्र ही क्या थी शायरी करने की।
बहुत से लोग कहते है मोहब्बत जान ले लेती है.. मोहब्बत जान नहीं लेती है बिछड़ने पर यादें अंदर से तोड़ जाती है।
जहाँ भी ज़िक्र हुआ सुकून का.. वहीँ तेरी बाहोँ की तलब लग जाती हैं।
गलतफहमी की गुंजाईश नहीं सच्ची मोहब्बत में, जहाँ किरदार हल्का हो, कहानी डूब ही जाती है।
मोहब्बत की शतरंज में वो बड़ा चालाक निकला, दिल को मोहरा बना कर हमारी जिन्दगी छीन ली।
मुझे तलाश है उन रास्तों कि, जहां से कोई गुज़रा न हो, सुना है.. वीरानों मे अक्सर, जिंदगी मिल जाती है।
कागज के बेजान परिंदे भी उड़ते है, जनाब, बस डोर सही हाथ में होनी चाहिए।
शायरी भी एक खेल है शतरंज का, जिसमे लफ़्ज़ों के मोहरे मात दिया करते हैं एहसासों को।
मुझको छोड़ने की वजह.. तो बता देते, मुझसे नाराज थे या मुझ जैसे हजारों थे।
कोशिश हज़ार की के इसे रोक लूँ मगर, ठहरी हुई घड़ी में भी.. ठहरा नहीं ये वक्त।
क्या अब भी तुमको चरागों की जरुरत है, हम आ गए है अपनी आँखों में वफ़ा की रौशनी ले कर।
अजीब सा हाल है कुछ इन दिनों तबियत का, ख़ुशी ख़ुशी नही लगती और ग़म बुरा नही लगता।
हर कदम पर जिन्दगी एक नया मोड लेती है, कब न जाने किसके साथ एक नया रिशता जोड देती है।
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