I want to forget all the times when we were together, Bot because I doesn’t love her, Because it hurts too much to remember.
Woh khush hai par shayad hum se nahi Woh naraz hai par shayad hum se nahi Kon kehta hai unke dil me mohabbat nahi Mohabbat to hai par shayad humse nahi.!!
Zindagi hai nadan isliye chup hoon, Dard hi dard subah sham isliye chup hoon Keh du zamane se dastan apni, Usme ayega tera naam isliye chup hoon.
गए दोनों जहाँ के काम से हम न इधर के रहे न उधर के रहे न ख़ुदा ही मिला न विसाल-ए-सनम न इधर के रहे न उधर के रहे |
हसीनो ने हसीन बनकर गुनाह किया, औरों को तो क्या हमको भी तबाह किया, पेश किया जब ग़ज़लों में हमने उनकी बेवफ़ाई को, औरों ने तो क्या उन्होने भी वाह-वाह किया |
इश्क़ ने हमें बेनाम कर दिया , हर ख़ुशी से हमे अंजान कर दिया, हमने तो कभी नहीं चाहा कि हमें भी मोहब्बत हो, लेकिन आपकी एक नज़र ने हमें नीलाम कर दिया।
साथ अगर दोगे मुस्कराएंगे जरूर , प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे जरूर , राह में कितने काँटे क्यों ना हो , आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएँगे जरूर।
हाल अपने दिल का, मैं तुम्हें सुना नहीं पाती हूँ.. जो सोचती रहती हूँ हरपल, होंठो तक ला नहीं पाती हूँ.. बेशक बहुत मोहब्बत है, तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में.. पर पता नहीं क्यों तुमको, फिर भी मैं बता नहीं पाती हूँ..|
काँच का तोहफा ना देना कभी, रूठ कर लोग तोड दिया करते हैं, जो बहुत अच्छे हो उनसे प्यार मत करना, अकसर अच्छे लोग ही दिल तोड दिया करते है
कोई वादा ना कर, कोई ईरादा ना कर, ख्वाइशों मे खुद को आधा ना कर, ये देगी उतना ही जितना लिख दिया खुदा ने, इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर… !!
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही, इश्क़ में प्रेमी कभी झुकता नही, खामोश हैं हम किसी के खुशी के लिए, ना सोचो के हमारा दिल दुःखता नहीं!
रात गुमसूँ है मगर चेन खामोश नही, कैसे कह दू आज फिर होश नही, ऐसा डूबा तेरी आखो की गहराई मैं, हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही |
भीड़ की आदत नहीं मुझे, थोड़े में जीना सीख लिया है मैंने, चन्द दोस्त हैं, चन्द दुआएं हैं, बस इन खुशियों को गले लगा लिया मैंने ।
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो; जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो; इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है; इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो |
जहाँ याद न आये तेरी वो तन्हाई किस काम की; बिगड़े रिश्ते न बने तो खुदाई किस काम की; बेशक़ अपनी मंज़िल तक जाना है हमें; लेकिन जहाँ से अपने न दिखें, वो ऊंचाई किस काम की।
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