कहने को शब्द नहीं, लिखने को भाव नहीं, दर्द तो हो रहा है, पर दिखाने को घाव नहीं...✍ -bhai ka Chhota bhai
जब से रहने लगा सब के संग , तब से पूरी पंडिताई हो गई भंग....✍ - Bhai Ka Chhota bhai
जाने किसकी दुआओं से जिंदा हूं मैं , सो शिकारी है एक परिंदा हूं मैं...✍
भाई के साथ को तरसे, भाई से बात करने को तरसे , भाई का होकर भी , भाई से मुलाकात करने को तरसे....✍️
इतना दर्द सहता हू बिखर क्युं नही जाता , जिन्दा लाश बना हू मैं मर क्युं नही जाता....✍
किसको अर्जी दें , मुझे खुद से छुट्टी चाहिए....✍
One day you will leave this world What you did good might be forgotten Why you did bad might be forgiven What you taught someone will stay forever !!!! RD
मुझ पे हँसने की ज़माने को सज़ा दी जाए , मैं बहुत खुश हूँ ये अफ़वाह उड़ा दी जाए...✍
Zindgi. Zindgi k khel bde ajeeb hote hai... Kbhi kbhi insaan jeet k bhi Sb kuch haar jata hai......
सुना है हिसाब माँगते हो आओ बैठो कर देते हैं। बढ़ गई है शायद दिलों में बहुत नफ़रत सामने आओ थोड़ी और भर देते हैं। वो शायर
अपने ही दिये जखम भर रहा हूं मैं क्या बताऊँ किसी को की आजकल क्या कर रहा हूं मैं। फैसला मेरा है इसलिए शिकायत नहीं है किसी से मुझे अपने आप से ही रह रह कर गुजर रहा हूं मैं। जरूरत नहीं है अब किसी के साथ की,मिजाज ए बारिश का रुख जानता हूं पानी की तरह पल पल बह रहा हूं मैं। ईलम नहीं है मुझे गजल ए वफ़ा लिखने का ना जाने क्या-क्या कह रहा हूं मैं। बस जानता हूं आवाज ए बयान की गुफ्तगू इसलिए कुछ नया कर रहा हूं मैं। वस अब और बर्दाश्त नहीं होता यह सोच सोच कर रोज अपने आलम ए दासताँ का घर भर रहा हूं मैं। न जाने आजकल क्या कर रहा हूं मैं, न जाने आजकल क्या कर रहा हूं मै। वो शायर
कलम, आज उनकी जय बोल जला अस्थियाँ बारी-बारी चिटकाई जिनमें चिंगारी, जो चढ़ गये पुण्यवेदी पर लिए बिना गर्दन का मोल कलम, आज उनकी जय बोल. जो अगणित लघु दीप हमारे तूफानों में एक किनारे, जल-जलाकर बुझ गए किसी दिन माँगा नहीं स्नेह मुँह खोल कलम, आज उनकी जय बोल. पीकर जिनकी लाल शिखाएँ उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके सिंहनाद से सहमी धरती रही अभी तक डोल कलम, आज उनकी जय बोल. अंधा चकाचौंध का मारा क्या जाने इतिहास बेचारा, साखी हैं उनकी महिमा के सूर्य चन्द्र भूगोल खगोल कलम, आज उनकी जय बोल.
ज़िन्दगी बिखर गई हैं यहां वहां मै उसे समेट कर रखूं तो रखूं कहां फ़कीर बादशाह साब ( FAKEERA)
तू मुझे उड़ता हुआ परिंदा नजर आता है अंदर से तू मर चुका है बस ऊपर से ज़िंदा नज़र आता है फ़कीर बादशाह साब ( FAKEERA)
कुछ तूने दिए कुछ मैंने कमाए कुछ दुनिया ने मुझे बांटे है आय ज़िन्दगी तेरे दामन में सिर्फ कांटे ही कांटे है फ़कीर बादशाह साब (FAKEERA)
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