जुल्फों को फैला कर जब कोई महबूबा किसी आशिक की कब्र पर रोती है, तब महसूस होता है कि मौत भी कितनी हसीं होती हे…..!!!
रुखसत हुए तेरी गली से हम आज कुछ इस कदर, लोगो के मुह पे राम नाम था, और मेरे दिल में बस तेरा नाम था….!!!
चुपके चुपके पहले वो ज़िन्दगी में आते हैं, मीठी मीठी बातों से दिल में उतर जाते है, बच के रहना इन हुसन वालों से यारो, इन की आग में कई आशिक जल जाते हैं......!!!
किसी को इश्क़ की अच्छाई ने मार डाला, किसी को इश्क़ की गहराई ने मार डाला, करके इश्क़ कोई ना बच सका, जो बच गया उससे तन्हाई ने मार डाला.....!!!
अब अपने ज़ख़्म दिखाऊँ किसे और किसे नहीं, बेगाने समझते नहीं और अपनो को दिखते नहीं…..!!!
ऐ मेरा जनाज़ा उठाने वालो, देखना कोई बेवफा पास न हो, अगर हो तो उस से कहना, आज तो खुशी का मौका है, उदास न हो.....!!!
इसी बात से लगा लेना मेरी शोहरत का अन्दाजा, वो मुझे सलाम करते है जिन्हे तु सलाम करती हैं......!!!
ये भी अच्छा हुआ कि, कुदरत ने रंगीन नही रखे ये आँसू, वरना जिसके दामन में गिरते, वो भी… बदनाम हो जाता….!!!
करेगा जमाना भी हमारी कदर एक दिन, देख लेना.. बस जरा वफ़ा की बुरी आदत छुट जाने दो…..!!!
ना हँसते ख़ुद-ब-ख़ुद तो…कब के मर जाते, ज़िन्दगी तूने तो कभी, मुस्कुराने की वज़ह नहीं दी.....!!!
मजबूरिया थी उनकी... और जुदा हम हुए, तब भी कहते है वो… कि बेवफ़ा हम हुए….....!!!
संग-ए-मरमर से तराशा खुदा ने तेरे बदन को, बाकी जो पत्थर बचा उससे तेरा दिल बना दिया......!!!
मोत से पहेले भी एक मौत होती है, देखो जरा तुम जुदा होकर किसी से......!!!
गुमान न कर अपनी खुश-नसीबी का खुदा ने गर चाहा तो तुझे भी इश्क होगा......!!!
ज़िन्दा है तो बस तेरी ही इश्क की रहेमत पर, मर गए हम तो समझना तेरा प्यार कम पड़ा रहा था.....!!!
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