हम ने कब माँगा है तुम से अपनी वफ़ाओं का सिला बस दर्द देते रहा करो "मोहब्बत" बढ़ती जाएगी.....!!!
अहेसान तो तेरा भी है एक मुझ पर ज़ालीम, इन नजरों से ना तु नीकला... न मुझे नीकलने दीया......!!!
अजीब लोग बसते है तेरे शहेर मे जालीम, मरम्त कांच की करते है पथ्थर के औझार से......!!!
बदलती चीज़ें हमेशा अच्छी लगती हैं... लेकिन, बदलते हुए अपने कभी अच्छे नहीं लगते....!!!
हौसला मुज में नहीं उसको भूलाने का, काम सदियों का लम्हों में कहाँ होता है.....!!!
खामोश रह... तनहा बैठ... याद कर उस को, तूने इश्क़ किआ है.... गुनाह छोटा नहीं है तेरा....!!!
ऐ चांद चला जा क्यो आया है मेरी चौखट पर, छोड गये वो शख्स जिसकी याद मे हम तुझे देखा करते थे…..!!!
उन से कह दो अपनी ख़ास हिफाज़त किया करे, बेशक साँसे उनकी है… पर जान तो मेरी है.…!!!
मैंने इंसान की वफ़ा पर यकीन करना छोड़ दिया है, जब किस्मत बदल सकती है तो ये मिट्टी के इंसान क्यों नहीं…..!!!
है.. कोई वक़ील, जहान में… दोस्तों, जो हारा हुआ इश्क़ जिता दे मुझको....!!!
ऐ ज़िन्दगी तू अपनी रफ़्तार पे ना इतरा, जो रोक ली मैंने अपनी साँसें तो तू भी चल ना पायेगी…!!!
कौन खरीदेगा अब हीरों के दाम में तुम्हारें आंशू, वो जो दर्द का सौदागर था, मोहब्बत छोड़ दी उसने......!!!
मोहब्बत के बाद मोहब्बत मुमकिन तो है, पर टूट कर चाहना सिर्फ एक बार होता है.......!!!
खुशियाँ तो कब की रूठ गयी हैं काश की, इस ज़िन्दगी को भी किसी की नज़र लग जाये....!!!
हमने दिल जो वापीस मांगा तो सिर जुका के बोले, वो तो टुंट गया युहि खेलते खेलते…….!!!
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