इश्क़ ने हमें बेनाम कर दिया , हर ख़ुशी से हमे अंजान कर दिया, हमने तो कभी नहीं चाहा कि हमें भी मोहब्बत हो, लेकिन आपकी एक नज़र ने हमें नीलाम कर दिया।
साथ अगर दोगे मुस्कराएंगे जरूर , प्यार अगर दिल से करोगे तो निभाएंगे जरूर , राह में कितने काँटे क्यों ना हो , आवाज़ अगर दिल से दोगे तो आएँगे जरूर।
हाल अपने दिल का, मैं तुम्हें सुना नहीं पाती हूँ.. जो सोचती रहती हूँ हरपल, होंठो तक ला नहीं पाती हूँ.. बेशक बहुत मोहब्बत है, तुम्हारे लिए मेरे इस दिल में.. पर पता नहीं क्यों तुमको, फिर भी मैं बता नहीं पाती हूँ..|
काँच का तोहफा ना देना कभी, रूठ कर लोग तोड दिया करते हैं, जो बहुत अच्छे हो उनसे प्यार मत करना, अकसर अच्छे लोग ही दिल तोड दिया करते है
कोई वादा ना कर, कोई ईरादा ना कर, ख्वाइशों मे खुद को आधा ना कर, ये देगी उतना ही जितना लिख दिया खुदा ने, इस तकदीर से उम्मीद ज़्यादा ना कर… !!
वफ़ा का दरिया कभी रुकता नही, इश्क़ में प्रेमी कभी झुकता नही, खामोश हैं हम किसी के खुशी के लिए, ना सोचो के हमारा दिल दुःखता नहीं!
रात गुमसूँ है मगर चेन खामोश नही, कैसे कह दू आज फिर होश नही, ऐसा डूबा तेरी आखो की गहराई मैं, हाथ में जाम है मगर पीने का होश नही |
उलझी शाम को पाने की ज़िद न करो; जो ना हो अपना उसे अपनाने की ज़िद न करो; इस समंदर में तूफ़ान बहुत आते है; इसके साहिल पर घर बनाने की ज़िद न करो |
उसे भूल कर जिया तो क्या जिया , दम है तो उसे पाकर दिखा , लिख पथरों पर अपनी प्रेम कहानी , और सागर को बोल , दम है तो इसे मिटाकर दिखा |
बिन बात के ही रूठने की आदत है; किसी अपने का साथ पाने की चाहत है; आप खुश रहें, मेरा क्या है; मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।
ज़माने से नहीं, तन्हाई से डरते हैं, प्यार से नहीं, रुसवाई से डरते हैं, मिलने की उमंग है दिल में लेकिन, मिलने के बाद तेरी जुदाई से डरते हैं |
pukare aankh me chadkar to khoo ko khoo samajhta hai andhera kisko kehta he ye bas jugnu samajhta hai hame to chaand taaro me tera hi roop dikhta hai mohabbat me numaish ko adaaye tu samajhta hai
hame behosh kar saaki, pila b kuch nahi hamko. karam bhi kuch nahi hamko, sila bhi kuch nahi hamko. mohabbat ne dia he sab, mohabbat ne liya he sab mila kuch b nahi hamko, gila bhi kuch nahi hamko.
Tumhi pe marta hai ye dil adawat kyo nahi karta kai janmo se bandi hai bagawat kyo nahi karta.. kabhi tumse thi jo wo hi shikayat he jamane se meri taarif karta hai mohabbat kyo nahi karta..
koi kab tak mahaj soche, koi kab tak mahaj gaaye ilahi kya ye mumkin hai k kuch aisa bhi ho jaye. mera mehtaab uski raat ke aagosh me pighale. me uski neend me jaagu wo mujhme ghul ke so jaye.
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