Posted On: 11-09-2018

Munna Yadaw

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अगन प्रकट हो रो रो कर AGAN PRAKAT HO RO RO KAR

क्षण एक नहीं विचार कर,अस्तित्व टटोला पौरुष ने
 ले ली समाधी नीति ने,और मुँह न खोला साहस ने
 जब प्राण ज्ञान ने त्याग दिए,सद्बुद्धि माटी मोल बिकी
 वो अगन प्रकट हो रो रो कर,न राम झुके न सिय रुकी

जब मौन ऋषि मुनि सारे, सब मंत्री मंडल स्तब्ध खड़े
 तो कहाँ एक नारी महारानी मूक सभा में बोल पड़े
 तो यही एक उपचार बचा की अग्नि को अपना ले वो
 और राजधर्म संतुष्टि हेतु निज अस्तित्व मिटा ले वो

क्या यही रामराज्य बतलाते हो अपना सीना चौड़ा करके?
 क्या यही राजधर्म बतलाते हो अपना मस्तक ऊँचा करके?
 यह कोई गर्व की बात नहीं जब नारी पर संदेह हुआ
 स्त्रीत्व का गला घोंट और निर्मलता का अपमान हुआ

त्याग तपस्या भाव समर्पण नारी की पहचान जो हो
 देवी रूप नारी शक्ति का ,अंतः मन से सम्मान जो हो
 नहीं संदेह का समाधान अग्नि प्रश्न सदा होता है
 पूज्य जहाँ नारी होती हो,वहाँ स्वर्ग सदा होता है।