Posted On: 11-09-2018

Munna Yadaw

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उम्मीद छूटे न कभी UMEED CHHUTE NA KABHI

अपने हृदय में समेट कर अनगिनत ख़याल,

वो रह जाते हैं खड़े बेबस वक़्त के साथ!

रह रह कर शर्मायी छलकते हैं सवाल,

सवाल जिनके जवाब हैं हज़ार!

टहनियों की तरह पेड़ के साथ

और पत्तों की तरह फूल के साथ,

बसी है उम्मीद इस तरह जीवन के साथ!

पलों के अकसों से हर रोज़ वो गुज़रना,

रात का अाना अपनी शराफ़त लेकर!

उम्मीद छूटे न कभी,

इसका साथ ही है एेसा!