तुम शिकायतें बहुत करती हो बिछड़ने की, पहले भी यही करती थी पर मिलने की........!!!
आज फिर जख्मों पर नमक डाला गया है, फिर मुद्दा तेरा-मेरा आज उछाला गया है…...!!!
इंसान बिकता है, कितना महँगा या सस्ता, ये उसकी मजबूरी तय करती है…!!!
तुम्हारा ख्याल भी तुम्हारी तरह मेरी नही सुनता, जब आता है तो बस आता ही चला जाता है….....!!!
हो सके तो अब कोई सौदा ना करना, मैं पिछली महोब्बत में जिन्दगी हार आया हूँ.....!!!
उम्र भर चलते रहे, मगर कंधो पे आये कब्र तक, बस कुछ कदम के वास्ते गैरों का अहसान हो गया……!!!
दर्द की बारिशों में हम अकेले ही थे, जब बरसी ख़ुशियाँ, न जाने भीड़ कहा से आई……!!!
बात तो सिर्फ जज़्बातों की है वरना, मोहब्बत तो सात फेरों के बाद भी नहीं होती…!!!
मत कर यूं बेपनाह इश्क, ऐ नादां दिल उनसे, बहुत जख़्म लगते हैं, जब उँचाई से गिरते हैं......!!!
तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं, किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं….....!!!
तू तो ख्वाब थी, हकीकत कभी हुईं तो नहीं, मैंने बस ख्वाब हारा है, तुझे पाने का हौसला तो नहीं.....!!!
उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए, अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में पायल पहनने लगे.......!!!
लफ़्ज़ों से काश बयाँ कर पातें, ख़ामोशियाँ क्या असर करती हैं.......!!!
मैंने पूछा लोग कब चाहेंगे मुझे मेरी तरह, बस मुस्कुरा के कह दिया सवाल अच्छा है….!!!
मेरी फितरत ही कुछ ऐसी है कि, दर्द सहने का लुत्फ़ उठाता हु मैं….....!!!
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