Kabhi sath diya..... Kabhi saath chhod diya ... Dil lga ke fir.. Dil kyu tod diya
फिर बस्ते नही वो दिल जो एक बार टूट जाते हैं, कब्र को कितना भी सजा लो लोग ज़िन्दा नही होते
हमारी खामोशी ने हमे खामोश कर दिया, वर्ना दर्द इतना लिखते कि जमाना रोता
ख़ाली ख़ाली घर एकदम से भर गया, उदास बैठा था जो लड़का कल रात ही मर गया
तुमको मेरे जैसे बहुत मिलेगे, पर उन सब में मैं नही मिलूंगा
आसान नही ऐसे शख्स समझना, जो जानता सब कुछ है पर बोलता कुछ नही
मुफ्त में मिले तब भी मत लेना, दिल अभी और भी सस्ते होंगे
अकेले रह जाते है वो लोग, जो अपने से ज्यादा दूसरों की फिक्र करते हैं
मैं इतनी छोटी कहानी भी न थी, बस तुझे जल्दी थी किताब बदलने की
ना कोई हमदर्द था , ना कोई दर्द था, फिर एक हमदर्द मिला, उसी से सारा दर्द मिला
किस्मत बुरी थी या मैं, ये फैसला ना हो सका I मैं सबका होता गया, पर कोई मेरा ना हो सका
जिनके दिल साफ होते हैं, वो अक्सर ठुकरा दिए जाते हैं
हमको सूरज पर चलने को कहके खुद चांद पर चलते हैं, इनका ये जो रंग बदलने का हुनर है इसे देख गिरगिट भी जलते हैं 🖤🖤🖤🖤
हाँ मुझे प्यार हुआ था, वो था, था ही रहेगा
किसी ने ये पूछ कर रुला दिया, तुम दोनों कबसे बात नही करते
Jhunnu is offline
Jack is offline
abhay is offline
anonymous is offline
Abhay is offline
KRB is offline
Robert is offline
Himanshu is offline
vikki is offline
anil is offline
sourabh is offline
manibhusan is offline
Gudu is offline
Amrita is offline
Rakesh is offline
Please Login or Sign Up to write your book.