नए-नए फूलों से खेलता है, वो bhavara था किसी किस्म का, प्यार उसके अंदर था ही नही, शौक था उसे अलग- अलग जिस्मों का
कहीं नजर ना आए तो उसकी तलाश में रहना, कहीं मिले तो पलट कर ना देखना उसको..
मैंने तेरा कभी जिक्र नही किया, मुझे लगता है जो मैंने किया सही किया, पर जब से तू मेरे करीब आयी हैं, जो मेरे दिल ने कहा मैंने वही किया
तू मेरा न सही, किसी का तो बन
पहले हम उन्हें पाने की कोशिश करते थे...... और अब भुलाने की कोशिश में लगे हैं..
जरा सा फर्क़ तो रखते... दिल और खिलौने में
कदर वो है जो मौजूदगी में की जाए,, बाद में होने को पछतावा कहते हैं
कमाल का शख्स था, कैसा मिजाज रखता था,, मोहब्बत किसी और से थी शायद उसे, हमसे तो यूँही हसीं मज़ाक करता था
क्यों सजा दे रही हो... तुमसे प्यार किया इसलिए,, या तुमसे ज्यादा किया इसलिए..
कुछ तो रहम कर जिंदगी, थोड़ा संवर जाने दे.. तेरा अगला ज़ख़्म भी सह लेगे, पहला तो भर जाने दे..
धोखा भी बड़ी कमाल की चीज़ है... कभी खाकर देखना, समझ जाओगे
धोखा देने वाला सिर्फ बहाना ढूँढता है, और साथ देने वाला सिर्फ रास्ता..
पागल बना कर छोड़ गया वो शख्स.... जो कभी प्यार से मुझे पागल कहा करता था
हर रात यहीं ख्याल सताता है... क्या उसे भी मेरा ख्याल आता है
जहाँ कभी तुम थे अब वहां दर्द रहता है..
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