पहले तो यूँ ही गुजर जाती थी, तुमसे मोहब्बत हुई तो रातों का एहसास हुआ……!!!
इश्क़ महसूस करना भी इबादत से कम नहीं, ज़रा बताइये, छू कर खुदा को किसी ने देखा हैं........!!!
गर मुहब्बत खेल है, हमने खुद को दांव पे लगा दिया है, अब दुआ करते हैं रब से, तुम ज़रूर जीतो……..!!!
वक़्त भी लेता है करवटें कैसी कैसी, इतनी तो उम्र भी ना थी जितने सबक सीख लिए हमने….!!!
ये ना समझना कि खुशियो के ही तलबगार है हम, तुम अगर अश्क भी बेचो तो उसके भी खरीदार है हम......!!!
वो अल्फाज़ ही क्या जो समझाने पड़े, मैनें मोहब्बत की थी वकालत नहीं…....!!
मोहब्बत में सर झुका देना कुछ मुश्किल नहीं, रौशन सूरज भी चाँद कि ख़ातिर डूब जाता है…...!!!
हम तो उम्र भर के मुसाफ़िर हैं, मत पूछ तेरी तलाश में कितने सफ़र किए हैं हमने.......!!!
हमे भी आते हैं अंदाज़ दिल तोड़ने के, हर दिल में खुदा बसता है यही सोचकर चुप हू मै......!!!
काश ये मोहब्बत ख्वाब सी होती, बस आँखे खुलती और किस्सा खत्म....!!!
तुम याद भी आते हो तो चुप रहते हैं, के आँखो को खबर हुई तो बरस जाएंगी......!!!
तुम आओ और कभी दस्तक तो दो इस दिल पर, प्यार उम्मीद से कम हो तो सज़ा-ऐ-मौत दे देना......!!!
दिल ने आज फिर तेरे दीदार की ख्वाहिश रखी है, अगर फुरसत मिले तो ख्वाबों मे आ जाना….....!!!
तुम शिकायतें बहुत करती हो बिछड़ने की, पहले भी यही करती थी पर मिलने की........!!!
आज फिर जख्मों पर नमक डाला गया है, फिर मुद्दा तेरा-मेरा आज उछाला गया है…...!!!
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