Desh Bhakti Shayari

भूख, गरीबी, लाचारी को, इस धरती से आज मिटायें, भारत के भारतवासी को, उसके सब अधिकार दिलायें आओ सब मिलकर नये रूप में गणतंत्र मनायें । गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।

ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा, ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा, पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए, कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये।

संस्कार, संस्कृति और शान मिले, ऐसे हिन्दू, मुस्लिम और हिंदुस्तान मिले, रहे हम सब ऐसे मिल-झुल कर, मंदिर में अल्लाह और मस्जिद में भगवान मिले। गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई।

ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई , मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता , नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई , मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता Happy Independence Day!

मैं भारत बरस का हरदम अमित सम्मान करता हूँ यहाँ की चांदनी मिट्टी का ही गुणगान करता हूँ, मुझे चिंता नहीं है स्वर्ग जाकर मोक्ष पाने की, तिरंगा हो कफ़न मेरा, बस यही अरमान रखता हूँ। Vande Mataram

न मस्जिद को जानते हैं , न शिवालों को जानते हैं जो भूखे पेट होते हैं, वो सिर्फ निवालों को जानते हैं. मेरा यही अंदाज ज़माने को खलता है. की मेरा चिराग हवा के खिलाफ क्यों जलता है…… में अमन पसंद हूँ, मेरे शहर में दंगा रहने दो… लाल और हरे में मत बांटो, मेरी छत पर तिरंगा रहने दो Happy Independence Day

फना होने की इज़ाजत ली नहीं जाती, ये वतन की मोहब्बत है जनाब पूछ के की नहीं जाती…!! वंदे मातरम् !

दे सलामी इस तिरंगे को जिस से तेरी शान हैं, सर हमेशा ऊँचा रखना इसका जब तक दिल में जान हैं..!! जय हिन्द, जय भारत

Aajadi ki kabhi shaam nahi hone denge, Sahidon ki kurbani badnaam nahi hone denge, Bachi ho jo ek bund bhi garam lahu ki… Tab tak bharat ka aanchal nilaam nahi hane denge.

Adhikar milte nahi liye jate hain Aajad hain magar gulami kiye jate hain Vandan karo un senaniyon ko Jo maut ko aanchal mein jiye jate hain…

जशन आज़ादी का मुबारक हो देश वालो को, फंदे से मोहब्बत थी हम वतन के मतवालो को…

ज़माने भर में मिलते हे आशिक कई , मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता , नोटों में भी लिपट कर, सोने में सिमटकर मरे हे कई , मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता.

मन की बाते बंद करो,मत ज्ञान बाँटिये मोदी जी, सबसे पहले गद्दारों की जीभ काटिये मोदी जी, आज वतन को,खुद के पाले घड़ियालों से खतरा है, बाहर के दुश्मन से ज्यादा घर वालो से खतरा है, देशद्रोह के हमदर्दी हैं,तुच्छ सियासत करते है, और वतन के गद्दारों की खुली वकालत करते है, वोट बैंक की नदी विषैली,उसमे बहने वाले हैं, आतंकी इशरत को अपनी बेटी कहने वाले हैं,

शश्य-श्यामल फसलों को खेतों में लहराते-झूमते हुए? देखा है तुमने, अलमस्त हवा के झोंकों को फसलों का सिर चूमते हुए? देखा है ...

मेरी नज़रों को ऐसी खुदाई दे जिधर भी देखूँ मेरा वतन दिखाई दे..... हवा की हो कुछ ऐसी मेहरबानियाँ बोलू जो जय हिन्द तो सारी दुनिया को सुनाई दे...... स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें