कलाई पर सजा के राखी माथे लगा दिया है चंदन सावन के पावन मौके पर मेरी प्यारी बहना को हैप्पी रक्षा बंधन
Time and distance means nothing between Brothers and Sisters. We are always in each other's heart.
gaurav
कभी स्याही से भरा हुआ करता था यह कोरा कागज अब तो बस चंद छीटो की ही आश में है।
मैं तारीफ तारीफ करता था उसकी बिंदी की ! मेरे लफ्ज कम पड़ गए जब उसने झुमके पहन लिए !!
यूँ दर-ब-दर भटकना अच्छा नही ग़ालिब तुम्हे कौनसा इस शहर में पहचान बनानी है
अकेले ही खुश है खिताब हमे आशिक़ मिजाज ना दे, चली जा रही हूं अपनी तनाहियो से बात करता है इश्क मुझे पीछे से आवाज ना दे
मानव का रचा हुया सूरज मानव को भाप बनाकर सोख गया। पत्थर पर लिखी हुई यह जली हुई छाया मानव की साखी है ~ अज्ञेय ("हिरोशिमा")
तुम्हें मालूम था यह राह नहीं निकलती जहाँ पहुँचना मैंने तुम उस तरफ जा भी नहीं रहे थे फिर भी तुम चलते रहे मेरे साथ-साथ… - पद्मा सचदेव
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