प्यार की बात भले ही करता हो जमाना... मगर प्यार आज भी "माँ" से शुरू होती है...
ना तोल मेरी मोहब्बत को अपनी दिल्लगी से... देख कर मेरी चाहत अक्सर तराजू टूट जाते हैं...
जो राज थे वो राज रह गए... जो नाराज थे वो नाराज रह गए...
दिल रोज सजता है नादान दुल्हन की तरह... "गम" रोज चले आते हैं बाराती की तरह...
कोई रूह का तलबगार मिले तो हम भी मोहब्बत करें... यहां दिल तो बहुत मिलते हैं, बस कोई दिल से नहीं मिलता...
इश्क जब रूह में सिमटता है... मुस्कान बेहद हसीन हो जाती है...
संवर रही है आज वो किसी और के लिए, पर मैं बिखरा हूँ आज भी सिर्फ उसी के लिए!
मित्रता दो शरीर में रहनेवाली एक आत्मा है.
Friendship is a soul living in two bodies.
Dosti do sharir me rahnewali ek atma hai.
मैं इसका हनुमान हूँ ये देश मेरा राम है छाती चीर के देख लो अन्दर बैठा हिन्दुस्तान है जय हिंदी जय भारत
काश के बरस जाये यहाँ भी कुछ नूर की बारिशें के ईमान के शीशों पे बड़ी गर्द जमी है उस तस्वीर को भी कर दे ताज़ा जिनकी याद हमारे दिल में धुंधली हुई है
कहीं फिसल न जाओ जरा संभल के चलना मौसम बारिस का भी है और मोहब्बत का भी
ऐ बारिश जरा थम के बरस जब वो आ जाये तो जम के बरस पहले न बरस के वो आ न सके फिर इतना बरस के वो जा न सके....
आज मौसम कितना खुश गवार हो गया खत्म सभी का इंतज़ार हो गया बारिश की बूंदे गिरी कुछ इस तरह से लगा जैसे आसमान को ज़मीन से प्यार हो गया
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