मोहब्बत का कोई इरादा तो नही था, पर देखी जो तेरी अदा तो नियत ही बदल गयी....
सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती, दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए..
सीख ली जिसने अदा गम में मुस्कुराने की, उसे क्या मिटायेंगी गर्दिशे जमाने की…
शराफत, शरारत, नजाकत तेरी हर अदा से मुझे प्यार है, किसी और का नहीं मुझे सिर्फ तेरा ही इंतज़ार है....
कभी_मेरी आँखों से आँखे मत मिलाना, फिर मत कहना की ना चाहते हुए भी प्यार हो गया..
जो बातें है करनी आज कर ले ये मेहरवानी फिर कहां। मेहरवानी अगर रही तो नौ जवानी फिर कहां। बैसे भी कौन जानता है आज हम साथ है कल हम कहां और तुम कहां ।
दुश्मनी हो गई जमाने से बस जुबां पे तेरा नाम आने से। दिल बेचैन सा होने लगता है तेरे आफ लाइन हो जाने से। न जाने ऐसा क्या है तुझमें कि मुरझाए फूल भी खिल जाते है बस तेरे आन लाइन आ जाने से।
जो सुरूर है तेरी आँखों में वो बात कहां मैखाने में, बस तू मिल जाए तो फिर क्या रखा है ज़माने में..
हर बार तेरी मुस्कुराती आँखों को देखता हूँ, चला आता हूँ तेरे पास ख़यालों में उड़ते हुए..
आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा जाने वाले तो हमें याद बहुत आएगा !!
आपकी आँखें उठी तो दुआ बन गई आपकी आँखें झुकी तो अदा बन गई झुक कर उठी तो हया बन गई उठ कर झुकी तो सदा बन गई!!
झील अच्छा, कँवल अच्छा के जाम अच्छा है, तेरी आँखों के लिए कौन सा नाम अच्छा है.
वो कहने लगी, नकाब में भी पहचान लेते हो हजारों के बीच ? मैंने मुस्करा के कहा, तेरी आँखों से ही शुरू हुआ था इश्क हज़ारों के बीच..
क़ैद ख़ानें हैं, बिन सलाख़ों के, कुछ यूँ चर्चें हैं , तुम्हारी आँखों के.
इश्क़ हो रहा है उनसे क्या किया जाए, रोके अपने आपको या होने दिया जाए।।
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