मुझे ना तन चाहिए, ना धन चाहिए बस अमन से भरा यह वतन चाहिए जब तक जिन्दा रहूं, इस मातृ-भूमि के लिए और जब मरुँ तो तिरंगा कफ़न चाहिये
ऐ मेरे वतन के लोगों तुम खूब लगा लो नारा ये शुभ दिन है हम सब का लहरा लो तिरंगा प्यारा पर मत भूलो सीमा पर वीरों ने है प्राण गँवाए कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर न आये….
एहसान ये रहा तोहमत लगाने वालों का मुझ पर, उठती उँगलियों ने मुझे मशहूर कर दिया।
आज तक है उसके लौट आने की उम्मीद, आज तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगह, लाख ये चाहा कि उसे भूल जाये पर,
रंजिश ही सही दिल को दुखाने के लिए आ, आ फिर से मुझे छोड़ जाने के लिए आ, कुछ तो मेरे इश्क़ का रहने दे भरम, तू भी तो कभी मुझे मनाने के लिए आ
कश्ती के मुसाफिर ने समन्दर नहीं देखा, आँखों को देखा पर दिल मे उतर कर नहीं देखा, पत्थर समझते है मेरे चाहने वाले मुझे, हम तो मोम है किसी ने छूकर नहीं देखा
कुछ खूबसूरत पल याद आते हैं, पलकों पर आँसु छोड जाते हैं, कल कोई और मिले हमें न भुलना क्योंकि कुछ रिश्ते जिन्दगी भर याद आते हैं|
वो नहीं आती पर निशानी भेज देती है ख्वाबो में दास्ताँ पुरानी भेज देती है कितने मीठे हे उसकी यादो के मंज़र। कभी कभी आँखों में पानी भेज देती है!!
वो तो अपनी एक आदत को भी ना बदल सका.. जाने क्यूँ मैंने उसके लिए अपनी जिंदगी बदल डाली
सुना था.. मोहब्बत मिलती है, मोहब्बत के बदले | हमारी बारी आई तो, रिवाज हि बदल गया ||
आदमी जो सुनता है, आदमी जो कहता है.. ज़िंदगी भर वो सदाएँ पीछा करती हैं! आदमी जो देता है, आदमी जो करता है.. रास्ते मे वो दुआएँ पीछा करती हैं!
बड़े शौक से बनाया तुमने मेरे दिल मे अपना घर जब रहने की बारी आई तो तुमने ठिकाना बदल दिया।
चेहरे के रंग को देखकर दोस्त ना बनाना.. दोस्तों .. तन का काला तो चलेगा लेकिन मन का काला नहीं।
आज भी प्यारी है मुझे तेरी हर निशानी .. फिर चाहे वो दिल का दर्द हो या आँखो का पानी।
वो हमें भूल भी जायें तो कोई गम नहीं, जाना उनका जान जाने से भी कम नहीं, जाने कैसे ज़ख़्म दिए हैं उसने इस दिल को, कि हर कोई कहता है कि इस दर्द की कोई मरहम नहीं।
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