जहाँ भी ज़िक्र हुआ सुकून का.. वहीँ तेरी बाहोँ की तलब लग जाती हैं।
गलतफहमी की गुंजाईश नहीं सच्ची मोहब्बत में, जहाँ किरदार हल्का हो, कहानी डूब ही जाती है।
मोहब्बत की शतरंज में वो बड़ा चालाक निकला, दिल को मोहरा बना कर हमारी जिन्दगी छीन ली।
मुझे तलाश है उन रास्तों कि, जहां से कोई गुज़रा न हो, सुना है.. वीरानों मे अक्सर, जिंदगी मिल जाती है।
कागज के बेजान परिंदे भी उड़ते है, जनाब, बस डोर सही हाथ में होनी चाहिए।
शायरी भी एक खेल है शतरंज का, जिसमे लफ़्ज़ों के मोहरे मात दिया करते हैं एहसासों को।
मुझको छोड़ने की वजह.. तो बता देते, मुझसे नाराज थे या मुझ जैसे हजारों थे।
कोशिश हज़ार की के इसे रोक लूँ मगर, ठहरी हुई घड़ी में भी.. ठहरा नहीं ये वक्त।
एक चाहत थी.. तेरे साथ जीने की, वरना, मोहब्बत तो किसी से भी हो सकती थी।
अक्सर ठहर कर देखता हूँ अपने पैरों के निशान को, वो भी अधूरे लगते हैं... तेरे साथ के बिना।
मेरी ये बेचैनियाँ... और उन का कहना नाज़ से, हँस के तुम से बोल तो लेते हैं और हम क्या करें।
हर साँस में उनकी याद होती है, मेरी आंखों को उनकी तलाश होती है, कितनी खूबसूरत है चीज ये मोहब्बत, कि दिल धड़कने में भी उनकी आवाज होती है।
सितम को हम करम समझे, जफा को हम वफा समझे, जो इस पर भी न समझे वह तो उस बुत को खुदा समझे।
ना हीर की तमन्ना है, ना परियों पर मरता हूँ, एक भोली-भाली सी लड़की है, मैं जिससे मोहब्बत करता हूँ।
सोचा नहीं अच्छा बुरा, देखा सुना कुछ भी नहीं, माँगा ख़ुदा से हर वक़्त तेरे सिवा कुछ भी नहीं, जिस पर हमारी आँख ने, मोती बिछाये रात भर, भेजा वही कागज़ उसे, हमने लिखा कुछ भी नहीं।
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