क्यों कर रहे हो किसानों पर अत्याचार , मत करो इन पर लट्ठों से प्रहार , यही तो है अपने देश की आन बान शान है , तभी तो लोग कहते हैं अपना हिंदुस्तान....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
कोई और तरीका हो तो बताओ जीने का , थक गया हूँ मैं साँस ले ले कर....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, क्या इनको नहीं दिखती गांव घर की मां बहन बेटियां , तो आखिर इनके घर कौन बनाता है रोटिया , क्या लिखूं मैं इंसानों के बारे में , मेरी कलम शर्म से डर गई, जैसे मैं इंसान लिखा तो खुद म खुद , मेरी कलम लिखदी की इंसानियत तो मर गई, क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, परिया निकली नहीं घर से कि बाज पैर मारने लगते है , ये जल्लाद मां बहन बेटियों को ताडने लगते हैं, मै भगवान से रोज यही प्रार्थना करता हूं , कि किसी मॉ बहन बेटियों की इज्जत पर आंच ना आए , बेशक दो चार जल्लाद बेमौत मर जाए , क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, मै भाई का छोटा भाई लिख तो रहा हूं पर शायर नहीं हू , और किसी मां बहन बेटियो के ईज्जत पर , कोई किचड़ उछाले और मैं चुप खड़ा रहूं इतना बड़ा कायर तो नहीं हू , क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, आप सब से हाथ जोड़कर विनती है, कि संभाल कर रखना अपनी फूल जैसे औलाद को, ये जल्लाद बेऔलाद बैठे हैं ,इनको क्या कहूं जिनको शर्म ही नहीं, ये शर्म को घोल कर पी बैठे हैं , मैं ये इसलिए नहीं लिख रहा हूं कि आज है 24 जनवरी , बल्कि इसलिए लिख रहा हूं की हर रोज दम तोड रही अपनी एक परी, क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे, क्यू कर रहे हो जल्लादों हम सब को बिबस , आंसू आ गए कैसे बताऊं कि आज है बालिका दिवस, क्या लिखूं मैं अपने अल्फाज में , जब इंसानियत ही नहीं रही इंसान मे.....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
मेरी कितनी अजीब कहानी है, ये जिंदिगी दर्द की दीवानी है....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
हम लिखते लिखते बेकार हो गए, लोग पढ़ते पढ़ते समझदार हो गए...✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
खुद कमाने लगे तो शौक खुद ही कम हो गए , पापा कमाते थे तो जहाज़ भी लेने का मन करता था....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
मातृभाषा है अपनी हिन्दी, हिंदी को अपने व्यवहार में लाएं , विश्व हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
सुबह होती है भाभी लेकिन नहीं होती शाम है, आपको क्या लगता है मोबाइल चलाने के आलावा मेरे पास और कोई नहीं काम है....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
एक चाय दो कप में बांट कर , मैं अकेला खुश नही हू , इस तरह जिंदगी काट कर....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
समय नहीं मिलता करने के लिए घर में बात , सुबह के बाद सीधे हो जाती है रात....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
चंद चुस्कियों में नहीं हौसलों में जिंदगी जियो , मेरे साथ चाय नहीं शराब बैठकर पियो सचिन....✍️ ~~भाई का छोटा भाई~
मेरी खामोशी ही गंवाह इस बात की कि मेरी जिंदगी में तेरी जगह और कोई नहीं ले सकता।।
साहब थोड़ा सुनो मेरी बात अब मैं जा रहा हूँ , सुनो दोस्तों मैं सपनो का शहर रीवा आ रहा हूं..... ✍️ ~भाई का छोटा भाई
जो मुस्कुरा रहा है उसे दर्द ने पाला होगा , जो चल रहा है उसके पाँव में छाला होगा , बिना संघर्ष के इन्सान चमक नहीं सकता यारों , जो जलेगा उसी दिये में तो उजाला होगा…✍️ ~भाई का छोटा भाई
Suna hai Kuch kehna Chahta hai To ye bta mere sath rehna Chahta hai Chod doga mohabbat kal se Ab bta MERI BAAT pr yaqeen ATA hai Dilshad saifi
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