लेकर के मेरा नाम मुझे कोसता तो है, नफरत ही सही, पर वह मुझे सोचता तो है…...!!!
उन्हें नफरत हुयी सारे जहाँ से, अब नयी दुनिया लाये कहाँ से…....!!!
तुझे तो मोहब्बत भी तेरी औकात से ज्यादा की थी, अब तो बात नफरत की है, सोच तेरा क्या होगा….....!!!
हाथ में खंजर ही नहीं आंखोमे पानी भी चाहिए, ऐ खुदा मुझे दुश्मन भी खानदानी चाहिए........!!!
ना जाने क्यु कोसते है लोग बदसुरती को, बरबाद करने वाले तो हसीन चहेरे होते है........!!!
ए खुदा रखना मेरे दुश्मनो को भी मेहफूज, वरना मेरी तेरे पास आने की दुवा कौन करेगा......!!
नफरतों को जलाओ मोहोब्बत की रौशनी होगी, वरना- इंसान जब भी जले हैं ख़ाक ही हुए है......!!!
मंदिरो मे हिंदू देखे, मस्जिदो में मुसलमान, शाम को जब मयखाने गया, तब जाकर दिखे इन्सान..........!!!
मोहब्बत भी उस मोड़ पे पहुँच चुकी है, कि अब उसको प्यार से भी मेसेज करो, तो वो पूछती है कितनी पी है…!!!
शाम खाली है जाम खाली है, ज़िन्दगी यूँ गुज़रने वाली है, सब लूट लिया तुमने जानेजाँ मेरा, मैने तन्हाई मगर बचा ली है......!!!
जाम तो उनके लिए है, जिन्हें नशा नहीं होता, हम तो दिनभर "तेरी यादों के नशे में यूँ ही डूबे रहते है".........!!!
जो पीने-पीलाने की बात करते है, कह दो ऊनसे कभी हम भी पीया करते थे, जीतने मे यह लोग बहक जाते है, ऊतनी तो हम ग्लास मे ही छोड दीया करते थे…....!!!
लबो पे आज उनका नाम आ गया, प्यासे के हाथ में जैसे जाम आ गया, डोले कदम तो गिरा उनकी बाहों में जाकर, आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया........!!!
आंखे है उनकी या है शराब का मेहखना, देख कर जिनको हो गया हूँ मै दीवाना, होठ है उनके या है कोई रसीला जाम, जिनके एहसास की तम्मना मे बीती है मेरी हर शाम......!!!
मैं पिए रहुं या न पिए रहुं, लड़खड़ाकर ही चलता हु, क्योकि तेरी गली कि हवा ही मुझे शराब लगती हैं….!!!
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