ℋ𝒶𝓂ℯ 𝓀𝓎𝒶 𝓂𝒶𝓁𝓊𝓂 𝓉𝒽𝒶 𝒦𝒾 𝒾𝓈𝒽𝓆 𝒽ℴ𝓉𝒶 𝓀𝓎𝒶 𝒽𝒶𝒾.....! 𝓌𝒶𝓈,ℯ𝓀 𝓉𝓊𝓂'𝓂𝒾𝓁ℯ 𝒪𝓊𝓇 𝓏𝒾𝓃𝒹𝒶ℊ𝒾........ 𝓂𝓊𝒽𝒷ℴℴ𝒷 𝒷𝒶𝓃 ℊ𝒶𝓎𝒾.....!❤️❤️❤️
अक्सर निकल जाता हूं रातों में, उन पुरानी गलियों में, उस खाली मकान को देखने।
मैंने सुना था कलियुग आयेगा ऐसा आयेगा और इतनी जल्दी यह कभी नहीं सोचा था
यूँ मोहब्बत में निखरता है कहाँ दीवाना शख़्स हर कोई वफ़ा पाकर बिखर जाता है
रात यूँही ढलती जाए जाम जाम से जाम टकराते जाए ना कल की फिक्र हो ना आजका पता मेरे दोस्तों की मैफिल में सब लापता हो !
लग गयी आग उस आशियाने में जिसमें तू कभी रहती थी ।
मुझे तू याद क्यू आती है वे दिली बेरहम तेरी यादें मुझे क्यूं नहीं कुछ बताती हैं । जाहिल सा गया है इस तरह कुछ आवारा पल अब तो पागल रात भी हंसकर मुझे जिंदा लाश बताती है।।
दुनिया को छोड़कर एक तुझे ही वे वजह अपनाया । फिर भी मैं तुझे सस्ता लगूं तो मैंने क्या पाया ।।
उम्मीदों की गलियों में कोई बैठा ले रहा सांस है । वो अधूरा सा दिखने वाला सपना क्यूं लगता दूर होकर भी पास है ।
मुर्दे की खामोशी कुछ ऐसी है जब रूह ने ही साथ छोड़ दिया तो अपनों से ये शिकायत कैसी है ।
नशा इश्क का हो या धूम्र दारु का एकदिन बर्बाद हो जाउंगा । यूं रोज सिंगार की तरह जलकर एक दिन धुआं हो जाऊंगा ।।
मुफ्त में मिलने मोहब्बत को कैसा पाकर खोना था जब मैं उसका कभी था ही नहीं तो फिर किस बात का रोना था । शायद मजबूरी ही शामिल थी उसकी तबीयत बदलने में मेरा क्या है वो आबाद रहे मुझे तो यूं ही मज़ा आता है अब तन्हा गुजरने में ।।
एक तो मुलाकात बंद ऊपर से ख्याल तुम्हारा । यह बात मालूम होते हुए भी अक्सर भूल जाता हूं दोबारा ।।
वह मुझसे बिछड़कर जमाने भर के लोगों सा जा मिला । उसे उस जैसे तो बहुत मिले पर मुझसा कोई न मिला ।।
जब मैंने तुम्हें पाया ही नहीं तो खोने का दर्द क्यूं होता है ।
Montananci is offline
Montanaelr is offline
wasim is offline
Khushboo is offline
Robertkeess is offline
Jameswitly is offline
Priti is offline
Victorbfy is offline
Intekhab is offline
Chauhan is offline
Ismaelvug is offline
Victoryxt is offline
Georgehop is offline
Shiv is offline
Antoniorqd is offline
Please Login or Sign Up to write your book.