पता है ओ आसमां तुझे ज़मीं याद करती है । शायद चांद खिड़की पर खड़ा है जो मेरी आंखें बात करती हैं ।।
तेरे इश्क का कैसा यह असर है । जिस्म तो यहां है पर जां किधर है ।।
शायद ही ऐसा कोई लम्हा गुज़रा होगा और शायद ही ऐसी मेरी कोई ग़ज़ल गयी । ज़िक्र तुम्हारा छूटा होगा पर फिक्र तुम्हारी कभी छूटी न गयी ।।
तुम्हारे जख्मों पर मरहम लगाकर दफा हो जाऊं । मैं सोच रहा हूं तुम भी खामोश रहना और अब मैं भी खफा हो जाऊं ,।।
कभी गुसार तो कभी करीब लिख रहा हूं । मैं तेरी कड़ियों की एक जरीब लिख रहा हूं ।।
खाली से दिल में तेरी वो हंसी आज भी दिल की दीवारों को हिला देती है हर दिन तुझसे दूर भागते है कम्बख्त ये राते हर बार तेरी याद से मिला देती है
हर दफा मोह्हबत की आड़ में धोखा दिया गया लड़ते भी तो किस से गुनेहगार कोई और नहीं में खुद ही था
"आशा " मुश्किल वक़्त में ही तो हमें अपनो की पहचान होती है कौन है साथ आपके खड़े और कौन आपके साथ नहीं है मुश्किल वक़्त इस बात का अच्छे से आभास कराता है कौन है दुख के साथी यहां आपके बस तो है और कौन सुख के साथी केवल हमारे ये वक्त बताता है मुश्किलो से पार कर हमेशा साहस की अनुभूति होती है मुश्किल घड़ी में हिम्मत ही सदा साथ हमारा तो देती है मुश्किल वक़्त जीवन में आते जाते ही सदा रहते हैं मुश्किलो से जूझ के ही हम हर मंजिल पार तो करते है जब भी आए मुश्किल वक़्त आपा ना हम कभी खोए है कहता ये मुश्किल वक़्त आत्मविश्वास का दीप जलाए है मुकाबला करे मुश्किल घड़ी का ना टुटने दे आशा को है।
*बिखरा हुआ समाज* और *बिखरा हुआ परिवार* कभी *बादशाह* नहीं बन सकता, लेकिन वह *आपस मे लड़ कर* दूसरों को *बादशाह* जरूर बना देता है...!
मौन है स्त्री नि.शब्द नहीं, आवाज़ है पर बोलती नहीं जज़्बात है मुंह खोलती नहीं, चाहत है पर किसी से उम्मीद नहीं पहल ना करती पर किसी से डरती नहीं, जीत की चाह नहीं हार मानती नहीं आईना है पर बिखरती नहीं, दर्द से भरी है जीना छोड़ती नहीं.....
में मिलूँगा तुम्हें खड़ा किसी पहाड़ पर बूढ़े देवदार की तरह.... तुम आना मुझसे मिलने कभी रिमझिम बारिश की बूँदो की तरह...!!!
सपना है आंखों में मगर नींद कहीं और है, दिल तो है जिस्म में मगर धड़कन कहीं और है कैसे बयां करें अपना हाले दिल, जी तो रहे हैं मगर जिंदगी कहीं और है!
मोहब्बत रंग दे जाती है जब दिल से दिल मिलता है' लेकिन मुश्किल ये है, दिल बड़ी मुश्किल से मिलता है !!
Sham hai sath Chirago ke Sihaye kay siwa kuch bhe nahi.... hum wo thay ke shamo ko roshan kiya karte thay kabhi
किसी से प्रेम करना और उस में डूब जाना कभी ग़लत नहीं हो सकता 🥀
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