Ye gumein wafaye mohobbat v kya dard deti hai seene m dard kitna v ho chupane ke liye thikana mil hi jata hai
छुपानी पड़ती है दिल की सच्चाई कभी कभी , बहुत बुरी लगती है ये अच्छाई कभी कभी , लोग पूछते हैं तू अपने बारे में कुछ बताता क्यों नहीं , सच सच अपनी जिंदगी को जताता क्यों नहीं , हर पल जख्म गम लिखता रहता है , तू दो पल हंस कर बिताता क्यों नहीं , सब के बारे में लिखता रहता है , तू अपने बारे में कब लिखेगा , जब दुनिया तुझे गलत समझ जाएगी , क्या तब तू सीखेगा , मैं गलत हूं कि सही मैं खुद ही खुद को परखूंगा , यह दुनिया है दोस्त भगवान को भी बुरा कहती है , अगर यह दुनिया एक दर्द सहती है , तो 1000 लफ्ज़ भगवान को गलत कहती है , खैर छोड़ो ये तो इंसान हैं , अब इंसानों में इंसानियत कहां रहती है , मुझे गलत समझने वाले समझ जाओ , तुम्हारी समझदारी ही इतनी है , मैं अपनी अच्छाई के बारे में क्या लिखूं , जितना तुम समझ गए मुझे , औकात ही तुम्हारी उतनी है, खैर छोड़ो साहब , बहुत सारी बातें बता दिया , भाई का छोटा भाई अपने बारे में जता दिया , हर वक्त लिखता था अपनी जिंदगी का गम , आज इस कविता में खुद को ही अजमा दिया....✍️
आपकी दोस्ती हमारी सुरो की ताज है । और आप जैसे दोस्तो पे हमें नाज है । कल कुछ भी हो जाए इस जिन्दगी में मगर, आपकी हमारी दोस्ती वैसी ही रहेगी जैसे आज है ।
"रात नहीं सपने बदलते हैं, मंजिल नहीं कारवां बदलता है, जज़्बा रखो हमेशा जीतने का, क्यूंकि नसीब बदले न बदले, लेकिन वक्त ज़रूर बदलता है I
अच्छी ज़िन्दगी जीने के दो तरीके हैं, जो पसंद है उसे हासिल करना सीख लो। या फिर जो हासिल हुआ है उसे पसंद करना सीख लो।
काँटों पर चलकर फूल खिलते हैं, विश्वास पर चलकर भगवान मिलते हैं, एक बात याद रखना दोस्त, सुख में सब मिलते है, लेकिन दुख में सिर्फ भगवान .मिलते है. आपका सेवक भाई मनोज कुमार यादव
जो मिला उसे गुजारा ना हुआ । जो हमारा था हमारा ना हुआ । हम किसी और से मनसुब हुए क्या ये नुकसान तुम्हारा ना हुआ, खर्च होता रहा मोहबब्त में फिर भी इस दिल को खासारा ना हुआ, दोनों एक दूसरे पे मरते रहे कोई अल्हा को प्यारा ना हुआ । बेतकल्लुफ़ भी वो हो सकते थे हमसे ही कोई इशारा ना हुआ.….... ❤️ शुभ रात्रि❤️
लिखता तो मैं खुद ही हूं , पर पढता कोई और है , तू तो अपना है दोस्त , मैं तुझे कब बोला कि तू गैर है , यह तू गैर गैर कहना छोड़ दे , अगर अपना नहीं समझता है , तो दोस्ती तोड़ दे , जब मुझे तू अपना समझता ही नहीं , तो फिर मुझे समझाने क्यों लगता है , मैं तुझे गैर बोलूं यह कभी हो सकता है , अब रहने दे भाई ज्यादा प्यार मत जता , तुम मुझसे गुस्सा क्यों हो सच सच यह बता , मतलब कि एक छोटी सी बात लेकर मुंह फुला लिया , छोटी सी बात के लिए भाई को भुला दिया , तू क्या कहता है, ऐसी बात के लिए दोस्ती तोड़ दूं , तू कहे तो मैं दुनिया छोड़ दू , अब ज्यादा प्यार मत जता , मैं क्या बोला जो तुझे बुरा लगा , सच सच ये बता , मैं तो किसी को कोई बात भी नहीं बताई, मैं क्या लिखूं दोस्त तेरे लिए, मैं ही पागल भाई का छोटा भाई....✍️ ~भाई का छोटा भाई
बाते बनाने वालो को मौका मत दो, मेहनत करो खुद को धोका मत दो।
Arjun is offline
Kamal is offline
Ritesh is offline
Amit is offline
Manjil is offline
Sample is offline
butterfly hart to is offline
Nasim is offline
Rampravesh is offline
Sonu is offline
Ayaz is offline
Alok is offline
Kashyap is offline
Salim is offline
Pradeep is offline
Please Login or Sign Up to write your book.